नई दिल्ली। भारत प्राचीन काल से ही अपने इस समृद्ध इतिहास और व्यापारिक दृष्टि से बेहद व्यस्त समुद्री पत्तनों के लिए प्रसिद्ध रहा है। तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ भारत का दक्षिणी क्षेत्र प्राचीन काल, मध्यकाल और आधुनिक युग तक बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ है। लेकिन आज से करीब 4000 साल पहले हड़प्पा सभ्यता में लोथल एक महत्वपूर्ण बंदरगाह था जो कि गुजरात में समुद्र के किनारे स्थित है। उसी लोथल पर भारत के समृद्ध समुद्री इतिहास का प्रदर्शन करने के लिए राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर का निर्माण किया जाएगा। 3,500 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जाने वाले इस परिसर में सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर वर्तमान समय तक के भारत के समृद्ध समुद्री इतिहास का प्रदर्शन किया जाएगा। भारत सरकार द्वारा प्राचीन इतिहास की धरोहर को सहेजने के लिए इस परिसर के पहले चरण को मार्च, 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन जलमार्ग एवं आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बताया कि राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर सागरमाला योजना के तहत एक प्रमुख परियोजना है जिसमें शिक्षा का दृष्टिकोण शामिल है। इस निर्माण कार्य में नवीनतम तकनीक का उपयोग करके समुद्री विरासत को उपभोक्ता के अनुकूल तरीके से पेश किया जाएगा ताकि लोगों में जागरूकता का प्रचार किया जा सके। ईपीसी और पीपीपी मोड सहित इस एनएमएचसी परियोजना की कुल लागत 3,500 करोड़ रुपये है। एनएमएचसी चरण-1ए का निर्माण कार्य मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
आपको बता दें कि एनएमएचसी परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रखी गई थी और मास्टर प्लान के लिए सहमति मार्च 2019 में दी गई थी। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक जनसभा के दौरान मंच से इसकी जमकर तारीफ की गई।
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इस परियोजना के पहले चरण के दौरान भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल द्वारा उपयोग की जाने वाली 5 दीर्घाओं और एक नौसेना दीर्घा सहित संग्रहालय भवन का एक परिसर और 35 एकड़ भूमि का विकास शामिल है। इस चरण को 774.23 करोड़ रुपये की लागत से ईपीसी मोड में विकसित किया जा रहा है।
इसके अलावा इस परियोजना के चरण-2 में बकाया दीर्घाओं सहित शेष संग्रहालय का निर्माण कार्य शामिल हैं और इसमें लाइट हाउस, 5डी डोम थियेटर, बागीचा परिसर और अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल हैं। इस चरण का निर्माण भी ईपीसी मोड के तहत विकसित करने का प्रस्ताव है।
परियोजना के चरण-3 में राज्य पवेलियन, लोथल सिटी, समुद्री संस्थान, (हॉस्टल सहित), इको रिसॉर्ट्स, मैरीटाइम और नवल थीम पार्क, जलवायु परिवर्तन थीम पार्क, स्मारक थीम पार्क तथा रोमांच और मनोरंजन पार्क शामिल होंगे। तो इस तरह से भारत सरकार अपने समुद्री पत्तनों को ऐतिहासिक धरोहर के साथ सहेजने का प्रयास कर रही है जिससे कि आने वाले वक्त में भारत के पोर्ट्स को को ज्यादा महत्व दिया जा सके। क्योंकि ये व्यापारिक और सामरिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण होते हैं।