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Maharashtra: त्रिपुरा की ‘झूठी’ घटना पर महाराष्ट्र में बवाल, आखिर चुप रहने पर क्यों मजबूर हैं उद्धव सरकार?

Maharashtra: शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि ‘रजा अकादमी का संबंध बीजेपी से है। रजा अकादमी मुसलमानों का प्रतिनिधित्व नहीं करती। पिछले दिनों हुए कुछ राज्यों के चुनावों में बीजेपी को हार मिली है। इसलिए बीजेपी हिंदू-मुसलमान की राजनीति कर रही है। रजा अकादमी बीजेपी की पिल्लू है।’

नई दिल्ली। त्रिपुरा में हुए तथाकथित साम्प्रदायिक दंगों के विरोध में महाराष्ट्र के कई शहरों में शुक्रवार को मुस्लिम संगठनों ने बंद का ऐलान किया था। इस दौरान कुछ जगहों से हिंसा की खबरें आईं। नांदेड़ में हिंसक भीड़ ने कई दुकानों में तोड़फोड़ की और भारी पथराव किया, जिसमें 2 पुलिसकर्मी घायल हो गए। सरकारी वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया। मालेगाव में भी प्रदर्शनकारियों ने उत्पात मचाया है। हिंसा को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। अमरावती, नांदेड़ और नासिक ग्रामीण के मालेगांव में हिंसा की खबरें सामने आ चुकीं हैं, जहां प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और कई दुकानों और वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। नांदेड़ में आठ पुलिसकर्मी- एक एएसपी, एक निरीक्षक और छह कांस्टेबल घायल हो गए। कहा जा रहा है कि एक ही समुदाय के दो गुटों में कहासुनी के बाद मारपीट हुई और प्रदर्शनकारी आपस में ही भिड़ गए। जमकर बवाल हुआ, सरकार और मंत्री अपील करते रह गये।

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वहीं इस बीच इस हिंसा के अगले ही दिन यानी शनिवार को कुछ संगठनों ने महाराष्ट्र में हुई हिंसा के विरोध में बंद का एलान किया, लेकिन बंद के दौरान अमरावती में सुबह हिंसा भड़क गई। यहां धारा 144 लागू कर दिया गया है। हैरानी वाली बात तो ये हैं कि जिस त्रिपुरा की घटना को लेकर महाराष्ट्र में मुस्लिम संगठनों ने बंद का एलान किया था, वो घटना असल में हुई ही नहीं थी। त्रिपुरा पुलिस ने इस बात को स्पष्ट किया था कि जो तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर त्रिपुरा की बताई जा रही हैं, वो गलत हैं और त्रिपुरा के किसी मस्जिद में आगजनी नहीं हुई है.. ना ही तोड़ फोड़ हुई है।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, ‘त्रिपुरा में जो घटना घटी ही नहीं उसे लेकर महाराष्ट्र में हो रहे दंगे बिल्कुल गलत हैं। त्रिपुरा में मस्जिद को जलाया गया इसकी अफवाह फैलाई गई। वहां की पुलिस ने उस मस्जिद की फोटो भी जारी की है। बावजूद इसके महाराष्ट्र में मोर्चे निकाले गए और हिंसा की गई, हिंदू समाज के लोगों की दुकानें जलाई गईं, मैं इसकी निंदा करता हूं।’ आपको बता दें कि महाराष्ट्र में हुई आगजनी और हिंसा के बीच एक संस्था का नाम सामने आ रहा है। इसी पर आरोप लगाते हुए बीजेपी नेता नितेश राणे ने कहा कि, ‘महाराष्ट्र में हिंसा भड़काने में रजा अकादमी ने अहम भूमिका निभाई है। पूरा मैनेजमेंट रजा अकादमी ने संभाला। रजा अकादमी ने आंदोलन को भड़काया है। रजा अकादमी महाविकास आघाडी का पिल्लू है। हिंदुओं को दबाया जा रहा है। रजा अकादमी पर अगर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो हम इसे खत्म करेंगे। ‘

महाराष्ट्र के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील ने हिंदू और मुस्लिम संगठनों से शांति की अपील की है। उन्होंने कहा, ‘अमरावती में शांति बनाए रखें, ये मेरी अपील है। रजा अकादमी पर बीजेपी की बंदी की मांग बीजेपी का एजेंडा है,अभी इस पर कुछ नही बोलूंगा। जिन लोगों ने कानून व्यवस्था की स्थिति खराब की, उनके खिलाफ कार्रवाई जरूर होगी। सिर्फ अमरावती में माहौल खराब किया जा रहा है। मैं हिन्दू, मुस्लिम, सामाजिक संगठनों से मदद की अपील करता हूं। देवेंद्र फडणवीस से मेरी बात हुई है। अमरावती के विधायक रवि राणा से बात हुई। सबसे शांति की अपील मैं खुद कर रहा हूं। शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि ‘रजा अकादमी का संबंध बीजेपी से है। रजा अकादमी मुसलमानों का प्रतिनिधित्व नहीं करती। पिछले दिनों हुए कुछ राज्यों के चुनावों में बीजेपी को हार मिली है। इसलिए बीजेपी हिंदू-मुसलमान की राजनीति कर रही है। रजा अकादमी बीजेपी की पिल्लू है।’

अब यहां ये जानना जरूरी है कि बांग्लादेश में नवरात्रि के दौरान हुई हिंसा के विरोध में त्रिपुरा में कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा मार्च निकाला गया था। इसके बाद सोशल मीडिया पर मस्जिदों में तोड़फोड़ और आगजनी की कुछ फर्जी तस्वीरें शेयर कर दी गई। जिसके बाद हिंसा फ़ैल गई थी। हालांकि किसी मस्जिद में ना तो तोड़फोड़ हुई थी और ना ही आगजनी हुई थी। हां सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों के बाद तनाव जरूर था। इसी घटना के विरोध में महाराष्ट्र में बंद का एलान कर दिया गया। मतलब त्रिपुरा में जो घटना हुई ही नहीं उस घटना के विरोध में महाराष्ट्र बंद किया गया .. और इसी की आड़ में आगजनी, हिंसा और बवाल किया गया।

सवाल ये उठता है कि आख़िरकार महाराष्ट्र सरकार कर क्या रही थी? महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के राज में क्या इस तरह की फर्जी घटनाओं पर हिंसा होगी और हिंसा करने वालों को संजय राउत बीजेपी का पिल्लू बतायेंगे? तो दोषियों पर कार्रवाई कब करेंगे? आज सब दोषियों पर कार्रवाई की बात कर रहे हैं तो पहले ही हिंसाकारियों को रोकने की वयवस्था क्यों नहीं की गयी? क्यों उन्हें इतनी छूट दी गई की वे दुसरे धर्म के लोगों कि दुकानों में आग लगाये, तोड़फोड़ करें.. सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाए! कहीं उद्धव ठाकरे सरकार कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति में सम्मिलित तो नहीं हो रही ?