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अखिलेश यादव पर फूटा मायावती का गुस्सा, कहा- ‘सपा दलित विरोधी, इनके साथ गठबंधन नहीं करना चाहिए था’

Mayawati: मायावती ने कहा है कि, “सपा के मुखिया गठबंधन होने के पहले दिन से ही एससी मिश्रा(Satish Chandra Mishra) जी को ये कहते रहे कि अब तो गठबंधन हो गया है तो बहनजी को 2 जून के मामले को भूला कर केस वापस ले लेना चाहिए, चुनाव(Election) के दौरान ​केस वापस लेना पड़ा।”

नई दिल्ली। नवंबर में उत्तर प्रदेश में होने वाले राज्यसभा चुनाव को देखते हुए बहुजन समाज पार्टी को उस वक्त तगड़ा झटका लगा जब बसपा के प्रत्याशी रामजी गौतम के दस प्रस्तावकों में से 5 ने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया। यहां खास बात ये है कि इन प्रस्तावकों ने बुधवार सुबह ही समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद ही बसपा में बगावत के सुर दिखाई देने लगे। बता दें कि प्रस्तावकों द्वारा प्रस्ताव वापस लेने के चलते अब राज्यसभा चुनाव में बसपा के सपने टूटने के कगार पर हैं। इस हालत में बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने अपना सारा गुस्सा सपा और अखिलेश यादव पर निकाला है। गुरुवार को मायावती ने ट्वीट के जरिए कहा कि, “इस बार लोकसभा चुनाव में NDA को सत्ता में आने से रोकने के लिए हमारी पार्टी ने सपा सरकार में मेरी हत्या करने के षड्यंत्र की घटना को भूलाते हुए देश में संकीर्ण ताकतों को कमजोर करने के लिए सपा के साथ गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ा था।”

Akhilesh Yadav

वहीं दूसरे ट्वीट में मायावती ने कहा है कि, “सपा के मुखिया गठबंधन होने के पहले दिन से ही एससी मिश्रा जी को ये कहते रहे कि अब तो गठबंधन हो गया है तो बहनजी को 2 जून के मामले को भूला कर केस वापस ले लेना चाहिए, चुनाव के दौरान ​केस वापस लेना पड़ा।” उन्होंने कहा है कि, “चुनाव का नतीजा आने के बाद इनका जो रवैया हमारी पार्टी ने देखा है, उससे हमें ये ही लगा कि केस को वापस लेकर बहुत बड़ी गलती करी और इनके साथ गठबंधन नहीं करना चाहिए था।”

Akhilesh Mayawati

मायावती ने अपने एक और ट्वीट में सपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाते हुए लिखा है कि, “इनका एक और दलित विरोधी चेहरा हमें कल राज्यसभा के पर्चों के जांच के दौरान देखने को मिला। जिसमें सफल न होने पर ये ‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे’ की तरह पार्टी जबरदस्ती बीएसपी पर बीजेपी के साथ सांठगांठ करके चुनाव लड़ने का गलत आरोप लगा रही है।”

बता दें कि बसपा उम्मीदवार को लेकर जिन्होंने अपना प्रस्ताव वापस लिया है उनमें बहुजन समाज पार्टी के असलम चौधरी, असलम राईनी, मुज्तबा सिद्दिकी, हाकम लाल बिंद, गोविंद जाटव के नाम शामिल हैं। बता दें कि कल ही असलम चौधरी की पत्नी ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली थी।