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Mehbooba Mufti: भारत के खिलाफ आग उगलने वाली महबूबा मुफ्ती बनीं शिवभक्त!, वायरल हो गया पीडीपी चीफ का ये Video

महबूबा मुफ्ती का ये नया रूप देखकर हैरत होती है, क्योंकि महबूबा मुफ्ती हमेशा आतंकियों और पाकिस्तान से बातचीत की हिमायत करती दिखती हैं। इस्लाम में मूर्ति पूजा की मनाही है। ऐसे में महबूबा मुफ्ती के शिवलिंग का जलाभिषेक करने का वीडियो सामने आने के बाद कट्टरपंथियों की तरफ से प्रतिक्रिया आनी भी तय मानी जा रही है।

पुंछ। जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम और पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती अमूमन तो भारत के खिलाफ आग उगलती हैं, लेकिन बुधवार से उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में महबूबा मुफ्ती पुंछ के मंदिर में शिवलिंग के दर्शन और जलाभिषेक करती नजर आ रही हैं। बताया जा रहा है कि महबूबा मुफ्ती पुंछ गई थीं। वो बिना किसी को जानकारी दिए एलओसी के पास देरियां गांव पहुंच गईं। वहां पीडीपी के पूर्व एमएलसी यशपाल शर्मा ने नवग्रह मंदिर बनवाया है। इस मंदिर में महबूबा मुफ्ती ने दर्शन किए और शिवलिंग पर जलाभिषेक भी किया। इसका वीडियो वहां मौजूद किसी व्यक्ति ने बनाया और ये सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।

महबूबा के इस वीडियो में पीडीपी नेता यशपाल शर्मा के छोटे बेटे उदेश पाल और उनके साथी भी महबूबा के साथ दिख रहे हैं। उदेश ने महबूबा को मंदिर में दर्शन कराए। महबूबा मुफ्ती का ये नया रूप देखकर हैरत होती है, क्योंकि महबूबा मुफ्ती हमेशा आतंकियों और पाकिस्तान से बातचीत की हिमायत करती दिखती हैं। इस्लाम में मूर्ति पूजा की मनाही है। ऐसे में महबूबा मुफ्ती के शिवलिंग का जलाभिषेक करने का वीडियो सामने आने के बाद कट्टरपंथियों की तरफ से प्रतिक्रिया आनी भी तय मानी जा रही है। महबूबा आखिर मंदिर क्यों पहुंचीं और वहां जलाभिषेक क्यों किया, इस बारे में उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

mehbooba mufti

महबूबा मुफ्ती की सियासत अब मूल रूप से गुपकार गठबंधन के नेता के तौर पर ही बची है। जम्मू-कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद से वो लगातार केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने की मांग करती रहती हैं। 370 खत्म किए जाने से पहले महबूबा मुफ्ती कहती रही थीं कि अगर इस अनुच्छेद को हटाया गया, तो जम्मू-कश्मीर में लोग भारत का राष्ट्रीय ध्वज लेकर चलना छोड़ देंगे और खून की नदियां बहेंगी। महबूबा के इन दावों की पोल उस वक्त खुल गई, जब 370 रद्द होने के बाद भी हिंसा में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई और न ही जम्मू-कश्मीर के लोगों ने भारत सरकार के खिलाफ कोई आवाज ही उठाई।