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प्रवासी मजदूरों की समस्या के लिए केंद्र ने राज्यों को जिम्मेदार ठहराया

प्रवासी मजदूरों के पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर घर जाने को विपक्ष ने मुद्दा बनाया तो केंद्र सरकार को असहज होना पड़ा। लेकिन केंद्र सरकार का मानना है कि प्रवासी मजदूरों की समस्या कई राज्यों के असहयोग के कारण उत्पन्न हुई।

नई दिल्ली। प्रवासी मजदूरों के पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर घर जाने को विपक्ष ने मुद्दा बनाया तो केंद्र सरकार को असहज होना पड़ा। लेकिन केंद्र सरकार का मानना है कि प्रवासी मजदूरों की समस्या कई राज्यों के असहयोग के कारण उत्पन्न हुई। अगर राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार का साथ दिया होता तो प्रवासी मजदूरों को पैदल जाने के लिए मजबूर न होना पड़ता। उन्हें ट्रेन से उनके गृह राज्यों को भेजा जाता। केंद्र सरकार के मंत्रियों का कहना है कि गैर भाजपा शासित राज्यों ने लॉकडाउन के बीच केंद्र सरकार का उस तरह से सहयोग नहीं किया, जैसा कि अपेक्षित है।


रेल मंत्री पीयूष गोयल बीते गुरुवार को इस मुद्दे पर जोरदार तरीके से राज्यों पर हमला बोल चुके हैं। उन्होंने भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा से वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान भी प्रवासी मजदूरों की समस्या का ठीकरा गैर भाजपा शासित राज्यों पर फोड़ा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों की ओर से ट्रेनों को अनुमति न देने के कारण ही प्रवासी मजदूरों के गृह राज्यों में पहुंचने में दिक्कत हुई।

piyush goyal
प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल, राजस्थान और झारखंड सरकार को रेल मंत्री पीयूष गोयल कटघरे में खड़ा कर चुके हैं। उनके मुताबिक, पश्चिम बंगाल में अब तक सिर्फ 27 ट्रेनें ही चल पाईं हैं। गृहमंत्री के पत्र लिखने के बाद आठ ट्रेनों की सूची मिली थी। जबकि नौ मई तक सिर्फ दो ट्रेन चल पाई थी। बाद में पश्चिम बंगाल सरकार ने 104 ट्रेनों की सूची दी है, जो 15 जून तक चलनी हैं।

रेल मंत्रालय का कहना है कि झारखंड ने सिर्फ 96 ट्रेनों को चलाने की अनुमति दी। जबकि राजस्थान के लिए भी 35 ट्रेन चल पाई। जिससे इन राज्यों के प्रवासी मजदूर फंसे हैं। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने संबित पात्रा से बातचीत के दौरान सभी राज्यों से अपील करते हुए कहा था कि ट्रेनों के जरिए प्रवासी मजदूरों को घर जाने में वे सहयोग करें।

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भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल कहते हैं कि संकट की इस घड़ी में केंद्र सरकार सभी राज्यों की हर संभव मदद कर रही है। मगर प्रवासी मजदूरों की घरवापसी को लेकर कई राज्य सरकारों ने संवेदनशीलता का परिचय नहीं दिया। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने जिस तरह से बाहर से प्रवासी मजदूरों की घरवापसी की पहल की, उस तरह से पश्चिम बंगाल, झारखंड और राजस्थान की सरकारों ने तेजी नहीं दिखाई, जिससे प्रवासी मजदूरों की समस्या खड़ी हुई।