नई दिल्ली। भारत सरकार कोरोनावायरस के खतरे को देखते हुए इससे निपटने के लिए लॉकडाउन 4.0 लगाने जा रही है। मगर इसके बावजूद भी कई राज्यों में अबतक प्रवासी मजदूरों को कुछ खास राहत नहीं दिख रही है। जैसे ही लॉकडाउन 3 के तहत कुछ ढील दी गई सरकार ने ग्रीन जोन में उद्योग-व्यापार शुरू करने की इजाजत दे दी। कुछ दुकानें भी खुलने लगीं। मजदूरों को काम भी मिलने लगा, लेकिन प्रवासी मजदूरों के गृह राज्य लौटने का न तो सिलसिला कम हुआ है और ना ही बेचैनी। हरियाणा, पंजाब, दिल्ली के बाद गुजरात के राजकोट में भी घर जाने की मांग को लेकर प्रवासी मजदूर सड़क पर उतर आए।
गुजरात के राजकोट में शापर-वेरावल हाईवे पर रविवार को आक्रोशित मजदूरों ने जमकर हंगामा किया। आक्रोशित मजदूरों ने तोडफोड़ की और कई वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। इस दौरान मजदूरों को शांत कराने की कोशिश में राजकोट के पुलिस अधीक्षक बलराम मीणा घायल हो गए। वहीं, पत्रकार और पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। काफी मशक्कत के बाद मजदूरों को घर भेजने का आश्वासन देकर प्रशासनिक अधिकारियों ने किसी तरह शांत कराया।
बताया जाता है कि 500 से अधिक मजदूर अपने गृह राज्य जाने के लिए निकले थे। जब ये निर्धारित स्थान पर पहुंचे तो परिवहन के किसी भी साधन की व्यवस्था नहीं थी। मजदूरों का धैर्य जवाब दे गया और वे हंगामा करने लगे।
प्रवासी मजदूरों ने तोड़फोड़ शुरू कर दी। मजदूरों के हंगामा करने की सूचना पाकर पुलिस अधीक्षक बलराज मीणा इन्हें समझाने के लिए मौके पर पहुंचे। तोड़फोड़ के दौरान उन्हें भी चोट आई है।
गौरतलब है कि पैदल ही अपने घर जा रहे मजदूरों ने हरियाणा के यमुनानगर में हाईवे जाम कर प्रदर्शन किया। वहीं, उत्तर प्रदेश में भी मजदूरों ने कानपुर लखनऊ हाईवे पर प्रदर्शन किया। दिल्ली में भी यूपी बॉर्डर पर बड़ी तादाद में मजदूर जमा हो गए थे। बता दें कि कुछ दिन पहले सूरत में भी प्रवासी मजदूरों ने घर जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था।