नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मऊ से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) विधायक अब्बास अंसारी के लिए आज का दिन राहत भरा है। मनी लॉन्ड्रिंग और चित्रकूट जेल में बंद रहने के दौरान अवैध तरीके से अपनी पत्नी से मुलाकात करने के मामलों में अब्बास को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। दो फर्मों के जरिए पैसे के गलत लेन देन के आरोप में ईडी ने अंसारी को 2022 में गिरफ्तार किया था। कासगंज जेल में बंद अब्बास अंसारी को जमानत तो मिल गई है मगर वो अभी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। दरअसल गैंगस्टर एक्ट से जुड़ा मामला अभी कोर्ट में लंबित है इसलिए फिलहाल अब्बास अंसारी को जेल में ही रहना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में अब्बास को जमानत देने से इनकार करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अंसारी द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अब्बास को जमानत दी। जबकि जेल में पत्नी से अवैध तरीके से मुलाकात करने के मामले में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने जमानत का आदेश दिया। ईडी ने आरोप लगाया है कि अब्बास अंसारी ने धन शोधन के लिए दो फर्मों मैसर्स विकास कंस्ट्रक्शन और मैसर्स आगाज़ का इस्तेमाल किया।
ईडी के अनुसार कंपनी ने कथित तौर पर जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक अतिक्रमण का सहारा लेकर मऊ और गाजीपुर जिलों में सरकारी जमीन हड़प ली। फर्म का उपयोग सार्वजनिक अनुबंध हासिल करने के लिए किया जाता था, इसलिए जब भी तत्काल फर्म द्वारा बोली लगाई जाती थी, तो अनुबंध अनिवार्य रूप से उक्त फर्म के पास जाते थे। उक्त फर्म गोदामों के निर्माण के लिए सार्वजनिक बैंकों से ऋण लेती थी, बाद में भारतीय खाद्य निगम और उत्तर प्रदेश राज्य वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन को किराए के रूप में दिया जाता था, और उनसे कई गुना किराया मिलता था।