
नई दिल्ली। साल 2020 से चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव के बीच मोदी सरकार ने अहम फैसला किया है। सरकार ने तय किया है कि भारत-चीन के बीच एलएसी पर सुरक्षा को और चाक-चौबंद किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की 4 नई बटालियन को पूर्वोत्तर में एलएसी पर तैनात करने का फैसला किया है। आईटीबीपी की इन 4 बटालियन के जवानों को चीन से लगी एलएसी की 47 नई चौकियों पर तैनात किया जाएगा। इनमें से सबसे ज्यादा जवान अरुणाचल प्रदेश में 37 चौकियों पर तैनात होंगे। मोदी सरकार ने चीन से जारी तनाव और पूरे एलएसी पर पड़ोसी देश की सेना की तैनाती को देखते हुए आईटीबीपी की 7 नई बटालियन और एलएसी पर बेस बनाने की मंजूरी दी थी।
मोदी सरकार लगातार चीन के खिलाफ सख्त रवैया अपनाए हुए है। पीएम नरेंद्र मोदी खुद कह चुके हैं कि भारत की एक इंच जमीन पर भी दुश्मन के जवान पैर नहीं रख सकेंगे। सेना के 50000 से ज्यादा जवानों को मोदी सरकार ने लद्दाख में तैनात कर रखा है। इसके अलावा हिमाचल, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर में भी एलएसी पर सेना के जवानों की बड़े पैमाने पर तैनाती की गई है। सेना के जवानों के साथ टैंक और अन्य आधुनिक हथियार भी एलएसी पर भारत ने लगाए हैं। अब आईटीबीपी की 7 नई बटालियन के जवानों की तैनाती से चीन के खिलाफ मजबूत सुरक्षा कायम रखने में मदद मिलेगी। इन 7 नई बटालियन से आईटीबीपी में 9400 जवानों की संख्या बढ़ी है।
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी है। ये एलएसी लद्दाख के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में पड़ती है। अरुणाचल प्रदेश में एलएसी की लंबाई 1126 किलोमीटर है। अरुणाचल और सिक्किम में आईटीबीपी की 67 चौकियां एलएसी पर हैं। 1962 की जंग में चीन की सेना लद्दाख के अलावा अरुणाचल प्रदेश में भी घुस आई थीं। अरुणाचल प्रदेश को चीन दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताकर अपना अधिकार जताता रहा है।