नई दिल्ली। हाल ही में दिए गए एक बयान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने स्कूली बच्चों से उनके निजी शरीर के अंगों (Gender) के बारे में पूछने के नियम पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की। उन्होंने इस प्रवृत्ति के लिए “वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र” को जिम्मेदार ठहराया और उन्हें ऐसी प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार ठहराया। भागवत ने आगे कहा कि वामपंथी न केवल हिंदू धर्म या भारत के विरोधी हैं, बल्कि पूरी दुनिया के विरोधी हैं।
लिंग पहचान कार्यक्रमों के लिए एलन मस्क के समर्थन पर वाल्टर इसाकसन के खुलासे
भागवत की टिप्पणियों से मेल खाते हुए, इस सप्ताह वाल्टर इसाकसन की पुस्तक ‘एलोन मस्क’ का विमोचन हुआ, जो दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति के विचारों पर प्रकाश डालती है। अपने विचारों में एलन मस्क ने जेंडर से जुड़े भेदभाव के लिए स्कूलों के इस नियम को जिम्मेदार बताया। वो इसे एक वामपंथी विचारधारा मानते हैं।
भागवत ने गुजरात के एक निजी स्कूल का उदाहरण दिया, जिसमें बच्चों से उनके निजी शरीर के अंगों के बारे में सवाल पूछने को लेकर उनकी चिंताएं बताई गईं। आरएसएस चीफ मोहन भागवत गुजरात के एक प्राइवेट स्कूल का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि बच्चों से उनके निजी अंगों के नाम पूछना वामपंथी परिवेश का हमला है। जबकि उनके इस विचार के आलोचकों का तर्क है कि बच्चों को उनके निजी शरीर के अंगों के बारे में शिक्षित करना यौन शिक्षा का एक अभिन्न अंग है। उनका तर्क है कि ऐसा ज्ञान केवल पहचान तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें यौन शिक्षा के व्यापक पहलू शामिल हैं।
दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क अपने बच्चे के जेंडर चेंज होने से पहले वाला नाम लेते हुए कहते हैं कि जेवियर से रिश्ते सुधारने की मैंने बहुत कोशिश की। लेकिन स्कूल ने उसका ऐसा ब्रेनवॉश किया था कि मैं कुछ नहीं कर सका। यह सब एक पिता के लिए बहुत दर्द भरा समय था। जेवियर अब कम्युनिस्ट बन गई और उसकी इस विचारधारा के लिए उसका स्कूल जिम्मेदार है। जिस स्कूल को जेवियर की शिक्षा के लिए मैं हर साल $50000 दिया करता था।