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Mohan Bhagwat: मोहन भागवत का जाति व्यवस्था पर बड़ा बयान, जानें क्या कहा..

Mohan Bhagwat’s big statement on caste system :उन्होंने आगे कहा कि भगवान के लिए हम सब एक ही हैं। अतीत की नजर में कोई जाति वर्ण व्यवस्था और पंथ नहीं है। यह तो सब पंडितों ने अपने फायदे के लिए बनाई है। बता दें कि उन्होंने यह भी कहने से गुरेज नहीं किया कि ऐसी बातें आपको कोई पंडित नहीं बता सकता है।

नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से आगामी लोकसभा सहित नौ राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर जाति व्यवस्था के मसले को लेकर बहस का बाजार गुलजार हो चुका है। यह कहना मुनासिब ही होगा कि जातिवाद को लेकर बहस की धार को सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पैना किया है। उनके हालिया बयान से ऐसा लग रहा है कि उन्होंने अब स्वर्ण समाज के खिलाफ लामबंद होने का फैसला कर लिया है। अब इसी बीच जातिवाद पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया है। आइए, आपको विस्तार से बताते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा है।

rss chief mohan bhagwat

मोहन भागवत ने ऐतिहासिक प्रसंगों का हवाला देकर हिंदू समुदाय से वर्तमान समय को संवेदनशील बताते हुए एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा का अतीत में बाहरी आक्रांताओं ने हमारी जातिगत परिस्थितियों को ही आधार बनाकर हम पर आक्रमण किया था। हमें अपने अधीन किया। क्योंकि हमारी जातिगत व्यवस्था हमारी कमजोरी बनी जिसका फायदा बाहरी आक्रांताओं ने उठाया। लिहाजा अब हमें अतीत के प्रसंगों से सीख लेते हुए वर्तमान में उन त्रुटियों की पुनरावृत्ति करने से गुरेज करना है, जो हमने अतीत में किया है, चूंकि यह परिस्थिति हमारे लिए गले की फांस साबित हो सकता है।

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उन्होंने आगे कहा कि भगवान के लिए हम सब एक ही हैं। भगवान की नजर में कोई जाति वर्ण व्यवस्था और पंथ नहीं है। यह तो सब पंडितों ने अपने फायदे के लिए बनाई है। बता दें कि उन्होंने यह भी कहने से गुरेज नहीं किया कि ऐसी बातें आपको कोई पंडित नहीं बता सकता है। उन्होंने कहा कि बेशक हिंदू धर्म में हमारे मत अलग-अलग हैं, लेकिन हमारा धर्म एक है, और वो हिंदू है, लिहाजा हमें अपना धर्म नहीं बदलना है। कोई दो मत नहीं है कि अगर हम ऐसा करते हैं, तो ऐसा करके ना महज हम अपने धर्म को कमजोर करते हैं, बल्कि अपने आपको भी कमजोर बनाते हैं।

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मोहन भागवत ने आगे कहा कि संत रोहिदास, तुलसीदास, कबीर, सूरदास से ऊंचे थे, इसलिए संत शिरोमणि थे। संत रोहिदास शास्त्रार्थ में ब्राह्मणों से भले नहीं जीत सके, लेकिन उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी है और हमें उन छाप से बहुत कुछ सीखना है। बता दें कि मोहन भागवत का बयान ऐसे वक्त में सामने आया है, जब हमारे देश में जातियों को लेकर बहस का सिलसिला शुरू हो चुका है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आगामी लोकसभा का चुनाव भी जाति के मुद्दे पर लड़ा जा सकता है। बहरहाल, अब मोहन भागवत के बयान पर किसकी क्या प्रतिक्रिया सामने आती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।