नई दिल्ली। देश में सांप्रदायिक सौहार्द कायम करने और विभिन्न समुदायों के बीच मेल-मिलाप के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS और मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने मिलकर काम करना शुरू किया है। इसी के तहत मंगलवार को मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात कर लंबी चर्चा की। सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्षों में देश में सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर बात हुई। बता दें कि आरएसएस प्रमुख पिछले काफी समय से देश के अलग-अलग समुदायों के बीच शांति और सौहार्द के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं। इसी के तहत उन्होंने साल 2019 में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नेता मौलाना अरशद मदनी से भी मुलाकात की थी।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक मंगलवार को मोहन भागवत से मिलने वालों में मुस्लिम बुद्धिजीवियों में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, दिल्ली के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर, नजीब जंग, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी AMU के पूर्व वाइस चांसलर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह, पूर्व सांसद और पत्रकार शाहिद सिद्दीकी और सईद शेरवानी शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक आरएसएस के अस्थायी दफ्तर में मोहन भागवत और इन मुस्लिम बुद्धिजीवियों के बीच बैठक हुई। करीब दो घंटे तक चली इस बैठक में भाईचारा बढ़ाने पर दोनों पक्षों ने जोर दिया। इस दौरान आरएसएस प्रमुख और मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने माना कि सांप्रदायिक सौहार्द कायम किए बिना देश का विकास नहीं हो सकता।
दोनों तरफ से इस बारे में सहमति थी कि अगर कोई गलतफहमी है और आपस में किसी मुद्दे पर बन नहीं रही, तो उसे दूर किया जाना जरूरी है। इस दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विचारधारा को बढ़ाते हुए देश में सौहार्द लाने पर जोर दिया गया। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत लगातार कहते रहते हैं कि भारत में रहने वाले हिंदू और मुसलमानों के पुरखे एक ही थे। उन्होंने दोनों ही समुदायों से अपने यहां के कट्टरपंथियों के खिलाफ उठ खड़े होने का आह्वान भी किया था। आरएसएस प्रमुख कई बार ये भी कह चुके हैं कि देश के विकास के लिए सभी समुदायों और संप्रदायों को मिलकर काम करना होगा।