Gujarat Election: मुसलमानों को पसंद नहीं ओवैसी!, BJP के इस नेता पर जान छिड़कते हैं मुस्लिम, सामने आए सर्वे से सबकुछ साफ
Gujarat Election 2022: आप यह जान चौंक जाएंगे, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, बल्कि अपने आपको मुस्लिमों का सबसे बड़ा रहनुमा कहने वाले ओवैसी से ज्यादा मुस्लिम वोटर बीजेपी को पसंद कर रहे हैं और बीजेपी में भी उनकी पहली पसंद कोई और नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, ऐसे में तो उन सभी लोगों को सदमे में आना तो तय है, जो सूबे की जनता के जेहन में मोदी सरकार के विरोध में जहर भरने का काम कर रहे हैं।
नई दिल्ली। गुजरात के 182 सीटों पर दो चरणों में चुनाव होने हैं। इन सभी सीटों पर मुख्यत: बीजेपी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम अपना किस्मत आजमाने जा रही है। वहीं सूबे के जातीय समीकरण की बात करें तो मतदाताओं में विभिन्न धर्म, संपदाय व जाति के लोग शामिल हैं। सभी अपने-अपने हितों के आधार पर राजनीतिक दलों को प्राथमिकता देते हैं। पिछले 27 सालों से प्रदेश में बीजेपी का कब्जा बरकरार है। अब ऐसे में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन देखने को मिलता है या बीजेपी का कब्जा बरकरार रहेगा। यह तो फिलहाल नतीजों के दिन यानी की सात दिसंबर को ही साफ हो पाएगा। लेकिन, उससे पहले सर्वे एजेंसियों के सर्वे सामने आने लगे जिसने गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से ही कयासों का बाजार गुलजार कर दिया। ध्यान रहे कि विभिन्न सर्वे एजेंसियों की तरफ से बीजेपी के लिए ही अच्छी खबर सामने आई है। मतलब, सर्वे एजेंसियों के मुताबिक, इस बार भी प्रदेश में बीजेपी का ही कब्जा बरकरार रहने जा रहा है। आइए, आपको बताते हैं कि क्या कहते हैं सर्वे एजेंसियों के सर्वे…।
आपको बता दें कि सर्वे एजेंसियों में मुख्य रूप से मुस्लिम वोटरों के मूड को लेकर बड़ी बातें कही गई हैं। आमतौर पर मुस्लिम वोटरों को मुख्य रूप से कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के परंपरागत वोटर माने जाते हैं, जिसमें बीजेपी लिस्ट से ही बाहर है। लेकिन, इस बार सर्वे एजेंसियों ने जिस तरह का सर्वे पेश किया है, उससे अगर कांग्रेस या उन सभी दलों ने जान लिया जो मुस्लिम वोटरों को अब तक अपनी बपौती समझते हुए आए हैं, तो यकीन मानिए सभी अवसाद में आ जाएंगे। अब आप सोच रहे होंगे कि वो कैसे।
दरअसल, एजेंसियों के सर्वे में अनहोनी होती हुई नजर आ रही है। बात अगर गुजरात की करें तो प्रदेश में 117 सीटों पर 10 फीसद से भी अधिक मुस्लिम वोटरों का भी दबदबा बताया जाता है, जो किसी भी राजनीतिक समीकरण को बदलने के लिए पर्याप्त हैं। बता दें कि वैसे तो मुस्लिम वोटरों को कांग्रेस सहित अन्य दलों का परंपरागत वोटर बताया जाता है और रही बात गुजरात में तो यहां बीजेपी के अलावा कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी चुनावी मैदान में है, तो ऐसे में आप कह सकते हैं कि अधिकांश मुस्लिम मतदाता कांग्रेस, आप या एआईएमआईएम के पाले में ही जा सकती है।
लेकिन आप यह जान चौंक जाएंगे, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, बल्कि अपने आपको मुस्लिमों का सबसे बड़ा रहनुमा कहने वाले ओवैसी से ज्यादा मुस्लिम वोटर बीजेपी को पसंद कर रहे हैं और बीजेपी में भी उनकी पहली पसंद कोई और नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, ऐसे में तो उन सभी लोगों को सदमे में आना तो तय है, जो सूबे की जनता के जेहन में मोदी सरकार के विरोध में जहर भरने का काम कर रहे हैं। जानकर हैरान हो सकते हैं, लेकिन सर्वे एजेंसियों का दावा है कि इस बार चुनाव में ओवैसी के खाते में मुस्लिम समुदाय की तरफ से मात्र 10 फीसद वोट ही जाएंगे और बाकी के वोट बीजेपी के खाते में जाने तय माने जा रहे हैं।
वहीं, इन सबके बीच सर्वाधिक नुकसान अगर किसी को हो रहा है, तो वो कांग्रेस है। अब तक सभी चुनावों में कांग्रेस को मुस्लिम समुदाय की तरफ से 40 फीसद वोट जाते रहे हैं, लेकिन इस बार कांग्रेस को मुस्लिमों की तरफ से मात्र 10 फीसद वोट जाने का दावा किया गया है। ऐसे में यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। वहीं, सर्वे एजेंसियों ने अपनी कुछ रिपोर्टों में यहां तक दावा किया कि आम आदमी पार्टी को मुस्लिम समुदाय की तरफ से 25 फीसद वोट मिल सकता है।
उधर, गुजरात विधानसभा चुनाव में ओवैसी का बड़ा प्रभाव माना जा रहा है। ध्यान रहे कि 44 फीसद लोगों का कहना है कि ओवैसी को प्रदेश के जातीय समीकरण को बिगाड़ने का काम कर सकते हैं। बता दें कि प्रदेश में दो चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं। पहले चरण की वोटिंग 1 दिसंबर को और दूसरे चरण की वोटिंग 5 दिसंबर को होगी और नतीजों की घोषणा 7 दिसंबर को होगी।