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बेटियों की शादी की उम्र 21 साल करने पर हल्ला मचाने वाले लोगों को नकवी का करारा जवाब, कहा- हिंदुस्तान में नहीं चलेगी ऐसी तालिबानी सोच

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने विरोध करने वाले लोगों को निशाने पर लेते हुए कहा कि कभी तीन तलाक का विरोध, तो कभी बेटियों की शादी की उम्र बढ़ाने का विरोध करके ये लोग संविधान की मूल भावना को ठेस पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अब ये हिंदुस्तान में नहीं चलेगा।

नई दिल्ली। जब से केंद्र सरकार ने लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढाकर 21 साल करने का विधेयक मंत्रिमंडल से पारित कर संसद के पटल पर रखने का ऐलान किया है, तब से देश में एक विशेष तबके ने हाहाकार मचा रखा है। मोदी सरकार द्वारा देश की बेटियों के हित में लिया गया यह फैसला इन लोगों को रास नहीं आ रहा है। लिहाजा ये लोग एकजुट होकर जोरदार विरोध कर रहे हैं। कह रहे हैं कि हम संसद में इस विधेयक का विरोध करेंगे। ये गलत है। ऐसा नहीं होने देंगे। लड़कियों के लिए शादी की उम्र 18 साल बिल्कुल वाजिब है। सपा सांसद शफीकुर्ररहमान जैसे नेताओं ने तो यहां तक कहने से गुरेज नहीं किया कि अगर लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ा दी जाएगी, तो इससे वे गलत रास्ते पर चलेंगी और समाज में इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा।

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वहीं, झारखंड के केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री तो इन सभी नेताओं से एस कदम आगे निकलें। उन्होंने साफ कह दिया कि न भैया। लड़कियों की उम्र 21 नहीं , बल्कि अब तो लड़कियों की ग्रोथ को देखते हुए इसे 16  साल कर देनी चाहिए। नहीं तो इसे 18 ही रहने देना चाहिए। मतलब साफ है कि केंद्र सरकार के इस फैसले के विरोध में जिसकी मुंह में जो आ रहा है, वो कहे चले जा रहा है। अब ऐसे ही लोगों को आईना दिखाते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री ने अल्पसंख्यक दिवस के मौके पर ऐसे ही उलजुलूल बयानों की झड़ी लगाने वाले नेताओं को करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में रहकर ऐसे  तालिबानी विचारधाराएं नहीं चलेगी। केंद्र सरकार ने कहा कि यह फैसला महिलाओं को सशस्त, सम्मानित व शिक्षित करने के ध्येय से लिया गया है।

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने विरोध करने वाले लोगों को निशाने पर लेते हुए कहा कि कभी तीन तलाक का विरोध, तो कभी बेटियों की शादी की उम्र बढ़ाने का विरोध करके ये लोग संविधान की मूल भावना को ठेस पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अब ये हिंदुस्तान में नहीं चलेगा। हमारे देश में संविधान के मुताबिक गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है, लेकिन अब कुछ लोग अपने आपको संविधान से ऊपर समझने लगे हैं। लेकिन अब ऐसे लोगों की विचारधाराओं के लिए हिंदुस्तान में कोई जगह नहीं है। बता दें कि केंद्रीय मंत्री का उक्त बयान केंद्र सरकार द्वारा बेटियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के फैसले के बाद आया है। बहरहाल, अभी समाज के एक तबके के द्वारा लगातार केंद्र सरकार के इस महत्वाकांक्षी फैसले का विरोध किया जा रहा है। अब देखना होगा कि आगे चलकर यह पूरा माजरा क्या रुख अख्तियार करता है। लेकिन केंद्र सरकार के रुख  से इतना तो साफ है कि ये विधेयक अब पारित होकर रहेगा। चाहे कोई कितना भी विरोध कर लें।  खैर, जो भी हो, देश चाहता है कि इस विधेयक को पारित किया जाए। देश की बेटियां और अन्य लोग केंद्र सरकार के इस फैसले से बेहद खुश हैं।