मोदी सरकार की सफल नीतियों का नतीजा, चीन को झटका देकर भारत में आ रही विदेशी कंपनियां
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अहम बैठक में भारत में निवेश की संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए रणनीति पर चर्चा की और अहम फैसला लिया।
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लॉकडाउन लगा हुआ है। इसका प्रभाव औद्योगिक गतिविधियों पर पड़ रहा है। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था को संभालने और विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। चीन की कंपनियां भी भारत में आने की इच्छा जता चुकी हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अहम बैठक में भारत में निवेश की संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए रणनीति पर चर्चा की और अहम फैसला लिया। इस बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिया कि निवेशकों के लिए अधिक सक्रिय दृष्टिकोण के साथ उनकी समस्याएं दूर कर केंद्र और राज्यों की ओर से उन्हें सभी आवश्यक मंजूरी समयबद्ध तरीके से देने में मदद करनी चाहिए। इससे देश में निवेश करने वाली कंपिनयों को फायदा होगा और उन्हें जल्द से जल्द काम शुरू करने में मदद मिलेगी।
इससे पहले सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि कोरोना के बाद बहुत से देश भारत को चीन के विकल्प के तौर पर देख रहे हैं। ऐसे में यह भारत के लिए सुनहरा मौका है भारत को इस पर गौर करना होगा और इस मौके का पूरा लाभ उठाना होगा।
इसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए जितने तेज फैसले लिए गए उसकी का नतीजा रहा है चीन से कई कंपनियां अपना व्यापार समेट कर भारत में निवेश करने का मन बना चुकी हैं। भारत में विदेशी निवेश (FDI)की सीमा जिस तरह से बढ़ाने का फैसला लिया गया। टैक्स में जिस तरह की छूट की बात की गई। कंपनियों के यहां निवेश करने से लेकर कारोबार की सुगमता के लिए जितने तेज तरीके से उसे सारी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने की बात की गई उसी का नतीजा रहा है कि चीन में अपना कारोबार कर रही दुनियां की कई बड़ी कंपनियां अब चीन के बजाए भारत में अपना उत्पादन यूनिट लगाने की जुगाड़ में लग गई हैं। कई बड़ी कंपनियों की तरफ से तो इसकी घोषणा भी कर दी गई है।
वहीं चीन की कंपनियों पर नकेल कसने के लिए जिस तरह से एफडीआई नियमों में बदलवा किया गया है उससे भी चीन बौखला उठा है। इस समय चीन आर्थिक मंदी की चपेट में आई दुनिया भर की बड़ी कंपनियों को निवेश का लालच देकर उस पर कब्जे की कोशिश कर रहा है। इन्हीं कोशिशों के बाद भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाया और अपनी एफ.डी.आई. पॉलिसी में बड़ा परिवर्तन कर दिया। भारत के इस कदम का मतलब है कि कोई भी चीनी कंपनी या किसी और देश की कंपनी भारतीय कंपनियों में अगर हिस्सेदारी खरीदना चाहती है तो उसे सरकार की मंजूरी लेना होगा।
Apple भी चीन से अपना कारोबार हटाकर भारत में इनवेस्ट करने के लिए तैयार
भारत के लिये कोरोनावायरस आर्थिक क्षेत्र में एक वरदान साबित हो सकता है। इसके लिये बस देश को कुछ जरुरी सुविधा दुनिया भर के कंपनियों को देना होगा। जिसके बाद भारत इस वैश्विक महामारी के बाद 5 ट्रिलियन इकॉनोमी को हासिल कर सकता है। इस बाबत भारत के लिये खुशखबरी है कि दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टफोन में शुमार एपल चीन से जल्द ही भारत में अपना प्रोडक्शन युनिट को शुरू कर सकता है।
मालूम हो कि एपल ने इसके लिये अगले 5 साल के लिये एक खाका तैयार किया है, जिसके तहत 40 बिलियन डॉलर की लागत से मोबाइल उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। माना जा रहा है कि एपल कंपनी प्रोडक्शन का पांचवा हिस्सा चीन से हटाकर भारत में शुरु करने की तैयारी में जुट गया है। बता दें कि एपल स्मार्टफोन के उत्पादन में दुनिया भर में एक जाना पहचाना कंपनी है। हालांकि भारत में फिलहाल यह उत्पादन पीएलआई स्कीम (प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव स्कीम) के तहत किया जाएगा। जिसमें अनुबंध के माध्यम से आगे बढ़ने की योजना है।
हाल के महीनों में जिस तरह से चीन से दुनिया के सभी देशों में नाराजगी देखी गई है,ऐसे में भारत के लिये यह किसी अवसर से कम नहीं है। माना जा रहा है कि भारत में उत्पादन करने से इन कंपनियों को आयात शुल्क बचेंगे। साथ ही भारत में कम कीमत पर स्किल्ड लेवर मौजूद है,जिसका लाभ इन कंपनियों को उठाना चाहिये। भारत में मोबाइल उत्पादन की अपार क्षमता है। जिसमें असेंबली से लेकर टेस्टिंग, मेकिंग और पैकेजिंग यूनिट तक आराम से लगाई जा सकती है।
चीन से अपना कारोबार समेट भारत लाने की तैयारी में लावा
मोबाइल बनाने वाली घरेलू कंपनी लावा इंटरनेशनल ने शुक्रवार को कहा कि वह चीन से अपना कारोबार समेट कर भारत ला रही है। भारत में हाल में किये गये नीतिगत बदलावों के बाद कंपनी ने यह कदम उठाने का फैसला किया है।
कंपनी ने अपने मोबाइल फोन विकास और विनिर्माण परिचालन को बढ़ाने के लिये अगले पांच साल के दौरान 800 करोड़ रुपये निवेश की योजना बनाई है। लावा इंटरनेशनल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हरी ओम राय ने कहा, मोबाइल डिजाइन के क्षेत्र में चीन में हमारे कम से कम 600 से 650 कर्मचारी हैं। हमने अब डिजाइनिंग का काम भारत में ट्रांसफर कर दिया है।
उन्होंने कहा कि हम चीन के अपने कारखाने से कुछ मोबाइल फोनों का निर्यात दुनिया भर में करते रहे हैं। यह काम अब भारत से किया जायेगा। भारत में लॉकडाउन अवधि के दौरान लावा ने अपनी निर्यात मांग को चीन से पूरा किया।
राय ने कहा कि मेरा सपना है कि चीन को मोबाइल उपकरण निर्यात किये जायें। भारतीय कंपनियां मोबाइल चार्जर पहले ही चीन को निर्यात कर रही हैं। उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना से हमारी स्थिति में सुधार आयेगा। इसलिये अब पूरा कारोबार भारत से ही किया जायेगा।
जर्मनी की फूटवियर कंपनी अब भारत में कर रही निवेश
जर्मनी के नामी गिरामी फूटवेयर कंपनी Von Wellx भी भारत में निवेश करने और अपना कारोबार शुरू करने का बन बना चुकी है। इसके लिए कंपनी ने आगरा की इराट्रिक इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से उत्पादन शुरू करेगी। आपको बता दें कि Von Wellx कंपनी को पूरी दुनिया में सबसे शानदार और सेहत के लिहाज से सुरक्षित जूता निर्माता कंपनी के रूप में जाना जाता है।
इसके जूते की डिजाइन लोगों की हर तरह की स्थिति को ध्यान में रखकर तैयार की जाती है ताकि लोगों के पैरों को किसी भी हालत में कोई तकलीफ ना पहुंचे। Von Wellx चीन से भारत में अपना पूरा उत्पादन स्थानांतरित करने का फैसला कर चुकी है।