नई दिल्ली। महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक के एनसीबी के जोनल निदेशक समीर वानखेड़े पर आरोप का वार थमने का नाम नहीं ले रहा है। एनसीपी नेता ने वानखेड़े का सर्टिफिकेट भी अपने ट्विटर पर शेयर किया है। जहां उन्होंने समीर वानखेड़े के मुस्लिम होने को लेकर किए गए अपने दावे को सही बताया है। दरअसल नवाब मलिक ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जहां उन्होंने कहा कि वानखेड़े एक मुस्लिम हैं और उन्होंने फर्जी जाति सर्टिफिकेट बनवाकर सरकारी नौकरी को हासिल की है।
इस दौरान मलिक ने यह भी कहा कि पहले बहुत सारी शिकायतें आती रहीं हैं कि लोग फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए नौकरी हासिल कर लेते हैं। इसलिए एक स्क्रूटनी कमेटी बनाई गई, जब कैटेगरी में कोई नौकरी लेता है तो उसके सर्टिफिकेट को वैलिड करना जरूरी है। जिसके लिए यह सर्टिफिकेट मुंबई कमिश्नर के ऑफिस की ओर से जारी किया गया, लेकिन केंद्र सरकार में कोई इस तरह का प्रावधान नहीं है कि वैलिडिटी कराई जाए। सिर्फ कलेक्टर से जानकारी हासिल की जाती है और सर्टिफिकेट जारी कर नौकरी दे दी जाती है। हालांकि, नवाब के इन सभी आरोपों को समीर वानखेड़े ने झुठलाया है।
The letter which @nawabmalikncp claims was sent by an NCB insider alleges that in most cases
“drugs were planted to frame the accused”, “Panchanamas were drafted at NCB office” hence “MVA Govt should set up an inquiry commission to probe these allegations.” @Herman_Gomes reports pic.twitter.com/bvgdZMole0— Marya Shakil (@maryashakil) October 26, 2021
इसके साथ ही नवाब मलिक ने इस मामले से जुड़ा एक पत्र भी सोशल मीडिया पर शेयर किया है। जिसमें समीर वानखेड़े से जुड़ी कई बातें सामने आई हैं। हालांकि इससे पहले नवाब मलिक ने इस पत्र का एंवोलप शेयर किया था। जहां दावा करते हुए कहा गया था कि ‘एनसीबी के किसी अफसर ने अपना नाम न बताते हुए उन्हें समीर वानखेड़े के बारे में और जानकारियों वाली चिट्ठी भेजी है’। वहीं अब मलिक ने इस मामले से जुड़ा पत्र भी सोशल मीडिया पर शेयर किया है।
कानून के तहत कार्रवाई होगी
अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नवाब मलिक ने यह भी कहा कि सारे दलित संगठन मुझसे बात कर रहे हैं और इस सर्टिफिकेट को लेकर सभी लोग इस स्क्रूटनी कमेटी के सामने अपनी शिकायत दर्ज कराएंगे और मांग करेंगे कि एक दलित का हिस्सा इन्होंने छीनकर फर्जीवाड़ा करके सरकारी नौकरी हासिल की और उस कानून में जब ये सिद्ध हो जाता है कि ये सर्टिफिकेट बोगस है तो उसके आधार पर आदेश पारित होता है कि इस सर्टिफिकेट के आधार पर जो भी फायदा लिया गया उसे विदड्रॉ किया जाए। उस कानून में ये 2 से 7 साल की सजा का प्रावधान है।