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भीमा कोरेगांव केस में NIA का कोर्ट में दावा- आतंक फैलाने के लिए JNU और TISS के छात्रों को किया गया था रिक्रूट

Bhima Koregaon case: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी फादर स्टेन स्वामी की मौत हो गई थी। स्टेन काफी समय से बीमार भी थे। वहीं जब स्टेन की मौत हुई तो उसके बाद से ही बाकि आरोपियों को रिहा किए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी। इस मामले में एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज समेत अन्य की ओर से जमानत के लिए याचिका लगाई गई है।

नई दिल्ली। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की ओर से एल्गार परिषद और माओवादियों के बीच संबंधों के मामले में स्पेशल कोर्ट में एक चार्जशीट दाखिल की। दायर की गई चार्जशीट में ये दावा किया गया है कि आरोपी देश के खिलाफ जंग (युद्ध) छेड़ना चाहते थे साथ ही वो खुद की सरकार भी चलाना चाहते थे। (NIA) की ओर से जारी की गई चार्जशीट में ये भी कहा गया है कि आतंक फैलाने के लिए ही JNU और TISS के छात्रों को रिक्रूट किया गया था। अगस्त महीने की शुरुआत में NIA ने इसका ड्राफ्ट पेश किया था।


ध्यान हो कि साल 2018 जनवरी में पुणे के पास भीमा कोरेगांव में एक युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी। इस हिंसा से ठीक एक दिन पहले एल्गार परिषद का पुणे शहर में सम्मेलन हुआ था। NIA का ये आरोप है कि संगठन के एक कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ भाषण दिए गए थे। जिसके बाद ये घटना घटी।

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी फादर स्टेन स्वामी की मौत हो गई थी। स्टेन काफी समय से बीमार भी थे। वहीं जब स्टेन की मौत हुई तो उसके बाद से ही बाकि आरोपियों को रिहा किए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी। इस मामले में एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज समेत अन्य की ओर से जमानत के लिए याचिका लगाई गई है। हालांकी मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपी गई थी।