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Ayodhya: नव संवत्सर के दिन राम मंदिर के गर्भ गृह में फहराई गई नई ध्वजा, विधि-विधान से की गई पूजा

Ayodhya: मंदिर के इस निर्माणाधीन स्थल पर नवीन ध्वजा ट्रस्ट के पदाधिकारी और कार्यदायी संस्था के इंजीनियरों की उपस्थिति में फहराई गई। इसके अलावा इस शुभ अवसर पर आचार्य नारद भट्टाराई और दुर्गा प्रसाद गौतम ने वैदिक विधान से ध्वज की पूजा-अर्चना कराई।

नई दिल्ली। भगवान राम की नगरी अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माणाधीन है। हालांकि, मंदिर के निर्माण का काम काफी तेजी से चल रहा है। इसी बीच 2 अप्रैल, शनिवार को हिंदू नववर्ष यानी नव संवत्सर के पहले दिन मंदिर के गर्भ गृह की ध्वजा भी बदली गई। ध्वजा के बदले जाने के दौरान श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी भी मौजूद रहे। ध्वजा को बदलने का काम सभी ने वैदिक पूजन के बाद किया गया। मंदिर के इस निर्माणाधीन स्थल पर नवीन ध्वजा ट्रस्ट के पदाधिकारी और कार्यदायी संस्था के इंजीनियरों की उपस्थिति में फहराई गई। इसके अलावा इस शुभ अवसर पर आचार्य नारद भट्टाराई और दुर्गा प्रसाद गौतम ने वैदिक विधान से ध्वज की पूजा-अर्चना कराई। इसके अलावा नई ध्वजा फहराते समय प्रोजेक्ट मैनेजर जगदीश आफले, विनोद शुक्ल और विनोद मेहता आदि भी मौजूद रहे।

गौरतलब है, कि इससे पहले लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल प्रारंभ करने वाले योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को पहली बार अयोध्या के दौरे पर पहुंचे थे। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद 25 मार्च को मुख्यमंत्री ने अयोध्या पहुंचकर श्रीराम लला मंदिर के दर्शन किए, साथ ही उन्होंने हनुमान गढ़ी के भी दर्शन और पूजन किया। मंदिर के दर्शन करने के बाद मुख्यमंत्री योगी ने अयोध्या मंडल के अधिकारियों के साथ मंदिर के निर्माण कार्य की प्रगति, अयोध्या के विकास कार्य और कानून-व्यवस्था की भी समीक्षा की। इसके अलावा उन्होंने रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय बंसल के साथ मंदिर निर्माण कार्य का अवलोकन भी किया। बता दें, अयोध्या में मंदिर निर्माण का कार्य 15 जनवरी 2021 से ही चल रहा है और इन दिनों मंदिर के अधिष्ठान का काम चल रहा है।

ram mandir

मिली जानकारी के मुताबिक, यहां पर नींव निर्माण के बाद प्रस्तावित मंदिर की चार फीट लंबी और तीन सौ फीट चौड़ी सतह पर निर्माणाधीन अधिष्ठान 21 फीट ऊंचा होगा, जो कि जून माह तक पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है। अधिष्ठान के निर्माण के बाद मंदिर निर्माण में उन शिलाओं को जोड़ने का काम किया जाएगा, जो यहां पर पहले से तराश कर रखी गई थीं।