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Ram Temple Lord Ramlala Pran Pratishtha: आज गर्भगृह में स्थापित होगा भगवान रामलला का नया विग्रह, देखिए मूर्ति की पहली Photo

Ram Temple Lord Ramlala Pran Pratishtha: भगवान रामलला का विग्रह 150 किलो के वजन का है। इसकी ऊंचाई 51 इंच है। कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने रामलला के इस नए विग्रह को श्याम वर्ण के पत्थर को तराशकर बनाया है। अपने नए स्वरूप में भगवान 5 वर्ष के बालक के रूप में भक्तों को दर्शन देंगे।

अयोध्या। रामनगरी अयोध्या में जश्न का माहौल है। भव्य राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में सिर्फ 4 दिन बचे हैं। 22 जनवरी की दोपहर 12.30 बजे 84 सेकेंड के मुहूर्त में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे। इसके लिए तमाम अनुष्ठान 16 जनवरी से ही चल रहे हैं। बुधवार की रात कर्मकुटी से भगवान रामलला के नए विग्रह को मंदिर परिसर लाकर गर्भगृह के सामने क्रेन की मदद से रखा गया। आज दोपहर 1.30 बजे के बाद रामलला के विग्रह को उनके 3.4 फिट ऊंचे मकराना संगमरमर से बने आसन पर स्थापित किया जाना है। बुधवार को पूजा के बाद श्रीराम यंत्र को भगवान रामलला के आसन पर स्थापित किया जा चुका है। इसी यंत्र के ऊपर भगवान के नए विग्रह को रखा जाएगा।

बीती रात भगवान रामलला के विग्रह को राम मंदिर के गर्भगृह के सामने लाया गया।

भगवान रामलला का विग्रह 150 किलो के वजन का है। इसकी ऊंचाई 51 इंच है। कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने रामलला के इस नए विग्रह को श्याम वर्ण के पत्थर को तराशकर बनाया है। अपने नए स्वरूप में भगवान रामलला 5 वर्ष के बालक के रूप में भक्तों को दर्शन देंगे। उनको सोने का मुकुट और अन्य अलंकार पहनाए जाएंगे। सोने और चांदी की कढ़ाई वाले वस्त्र भी रामलला के विग्रह को पहनाए जाने हैं। प्राण प्रतिष्ठा से पहले भगवान रामलला के नए विग्रह को तीर्थों के जल से स्नान कराया जाएगा। फिर उनकी आंखों पर पट्टी लगाई जाएगी। इस पट्टी को प्राण प्रतिष्ठा के दौरान पीएम मोदी खोलेंगे और फिर रामलला सबको दर्शन देंगे।

डॉ. अनिल मिश्र और उनकी पत्नी ऊषा मिश्रा सभी अनुष्ठान के यजमान बनाए गए हैं।

इस बीच, यजमान के तौर पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र और उनकी पत्नी ऊषा मिश्र सभी अनुष्ठान कर रहे हैं। अब आपको बताते हैं कि आज से 21 जनवरी तक राम मंदिर में कौन से और अनुष्ठान होने हैं। आज भगवान रामलला का गंधाधिवास किया जाएगा। इसके बाद 19 जनवरी की सुबह औषधिधिवास, केसराधिवास और घृताधिवास किया जाएगा। 19 जनवरी की शाम को धान्याधिवास का अनुष्ठान होगा। 20 जनवरी सुबह शर्कराधिवास और फलाधिवास और फिर शाम को पुष्पाधिवास किया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा से एक दिन पहले 21 जनवरी की सुबह मध्याधिवास और शाम को शैयाधिवास के अनुष्ठान सभी 121 आचार्य कराएंगे।