शिमला। हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू की कांग्रेस सरकार पर से संकट अभी टला नहीं है। 6 विधायकों को व्हिप न मानने का दोषी बताते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी सदस्यता तो रद्द कर दी, लेकिन ये सभी विधायक अभी ताल ठोकते दिख रहे हैं। वहीं, विक्रमादित्य सिंह की गतिविधियां भी सुक्खू सरकार के लिए असहज हैं। विक्रमादित्य सिंह आज एक बार फिर दिल्ली जा रहे हैं। इससे पहले दिल्ली से लौटते वक्त वो चंडीगढ़ में अयोग्य घोषित विधायकों से दूसरी बार मिले थे। विक्रमादित्य सिंह ने इसके बाद कहा कि कांग्रेस आलाकमान तक बागियों की बात पहुंचाई गई और आलाकमान ने जो कहा, उसे बागी अयोग्य विधायकों तक पहुंचाया गया है।
हालांकि, विक्रमादित्य ने ये तो नहीं बताया कि बागियों और आलाकमान के बची किन संदेशों का आदान-प्रदान हुआ, लेकिन ये जरूर कहा कि अब गेंद आलाकमान के पाले में है। बता दें कि अयोग्य घोषित विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और वहां से अगर उनके पक्ष में फैसला आया, तो इससे सुखविंदर सुक्खू की सरकार के लिए मुश्किल हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में बीजेपी अभी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का ही इंतजार कर रही है। फैसला अगर बागियों के पक्ष में आ गया, तो बीजेपी फिर सुक्खू सरकार को सत्ता से हटाने के लिए कोशिश शुरू करेगी। बीजेपी पहले ही दावा करती रही है कि हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने बहुमत खो दिया है।
इस सारे मसले की शुरुआत बीते दिनों राज्यसभा चुनाव की वोटिंग के दौरान हुई थी। राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को बीजेपी के हर्ष महाजन ने हरा दिया था। कांग्रेस के पास 45 और बीजेपी के पास 25 विधायक थे, लेकिन दोनों ही प्रत्याशियों को 34-34 वोट मिले थे। इसकी वजह ये थी कि कांग्रेस के 6 विधायकों ने हर्ष महाजन के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी।