
नई दिल्ली। कांग्रेस के गले में राजस्थान फंस गया है। न उगलते बन रहा है और न निगलते बन रहा है। एक तरफ सीएम अशोक गहलोत और उनके साथी विधायक हैं। दूसरी तरफ सचिन पायलट और उनके समर्थक हैं। गहलोत एक इंटरव्यू में साफ तौर पर सचिन पायलट को गद्दार कह चुके हैं। इस इंटरव्यू में गहलोत ने ये भी कहा था कि किसी सूरत में पायलट को राजस्थान की सत्ता नहीं मिलनी चाहिए। वहीं, सचिन पायलट लगातार गहलोत और उनके समर्थकों पर निशाना साधते हुए 25 सितंबर की घटना के संबंध में कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस आलाकमान ऐसे में दोनों तरफ फंसा है। वजह ये है कि अगले साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में जरा सी चूक पार्टी पर भारी पड़ सकती है।
उधर, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भी राजस्थान पहुंचने वाली है। 29 नवंबर को पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल जयपुर जा रहे हैं। वो राहुल और प्रियंका से मुलाकात कर अभी दिल्ली लौटे हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में वेणुगोपाल ने दावा किया कि राजस्थान में कोई संघर्ष नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब भारत जोड़ो यात्रा के जरिए राजस्थान में अपनी ताकत दिखाएगी। वेणुगोपाल का ये बयान ऐसे मौके पर आया है, जबकि कुछ दिन पहले ही सचिन पायलट एक बार फिर राहुल के साथ भारत जोड़ो यात्रा में दिख चुके हैं और सार्वजनिक तौर पर 25 सितंबर की बगावत के बारे में कार्रवाई की मांग कर चुके हैं। ऐसे में फिलहाल लगता है कि कांग्रेस आलाकमान अभी कोई कदम उठाने के लिए तैयार नहीं है।
बता दें कि 25 सितंबर को कांग्रेस आलाकमान (तब सोनिया गांधी अध्यक्ष थीं) के कहने पर अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे (मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष) जयपुर गए थे। बताया जा रहा था कि सचिन पायलट को सीएम पद पर बिठाना था, लेकिन इन दोनों नेताओं के सामने गहलोत समर्थक विधायकों ने बागी तेवर दिखाकर पायलट को सीएम बनाने का विरोध कर दिया था। इस मामले में सोनिया को रिपोर्ट भी सौंपी गई थी। वो रिपोर्ट फिलहाल ठंडे बस्ते में है। जबकि माकन ने राजस्थान के प्रभारी का पद भी छोड़ दिया है।