नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए आज से परचा भरने का काम शुरू होगा। कांग्रेस के 9000 नेताओं में से जो चाहे, वो इस पद के लिए चुनाव लड़ सकता है। खास बात ये है कि 23 साल बाद एक बार फिर कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार के बाहर से होगा। इससे पहले 1996 से 1998 तक सीताराम केसरी कांग्रेस के ऐसे अध्यक्ष रहे, जो गांधी परिवार से नहीं थे। 1998 से अब तक ये पद सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास ही रहा है। सोनिया ने बीच में राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष पद सौंपा था, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल ने अध्यक्ष पद छोड़ दिया था। तभी से सोनिया गांधी कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष हैं।
अब तक 7 राज्यों की कांग्रेस कमेटियों ने एकमत से प्रस्ताव पास कर फिर राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग की है। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत भी राहुल को अध्यक्ष बनाए जाने का पुरजोर समर्थन करते रहे हैं, लेकिन राहुल ने साफ इनकार कर दिया है कि गांधी परिवार से कोई भी पार्टी का अध्यक्ष पद नहीं संभालेगा। इसके बाद अब अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए परचा भरने का एलान कर दिया है। गहलोत के अलावा इस पद का चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस के सांसद शशि थरूर भी आगे आ चुके हैं। उनके भी चुनाव लड़ने की संभावना है। वहीं, एक और सांसद और पूर्व मंत्री मनीष तिवारी के भी चुनाव लड़ने की उम्मीद है। पहले कहा जा रहा था कि वरिष्ठ नेता और सांसद दिग्विजय सिंह भी अध्यक्ष पद के लिए चुनावी मैदान में उतरेंगे, लेकिन शुक्रवार को दिग्विजय ने इससे मना कर दिया।
अगर गहलोत, थरूर और मनीष तिवारी मैदान में उतरते हैं, तो गांधी परिवार के करीबी और इस परिवार के कामकाज पर सवाल खड़े करने वाले जी-23 गुट के बीच जंग का खाका खिंचेगा। गहलोत जहां गांधी परिवार के करीबी हैं। वहीं, थरूर और तिवारी उन 23 नेताओं के गुट में शामिल रहे हैं, जिन्होंने कांग्रेस में आमूलचूल बदलाव करने की मांग गांधी परिवार से की थी। बहरहाल परचा दाखिल करने का काम 30 सितंबर तक चलेगा। नाम वापसी 8 अक्टूबर तक हो सकेगी। 17 अक्टूबर को वोटिंग और 19 अक्टूबर को काउंटिंग के बाद तुरंत कांग्रेस के नए अध्यक्ष के नाम का एलान होगा।