
नई दिल्ली। दिल्ली के तीन मूर्ति भवन परिसर में स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) का नाम अब पीएम संग्रहालय हो गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मुहर लगने के बाद अब आधिकारिक तौर पर नेहरू मेमोरियल संग्रहालय का नाम प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (PMML) सोसाइटी हो गया है। इसी साल 16 जून को इसके नाम बदलने को लेकर फैसला लिया गया था। हालांकि इस फैसले का काफी विरोध भी हुआ। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस समेत विपक्षी दल केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध करते दिखी। लेकिन अब नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का नाम बदलने को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई है।
कांग्रेस की तरफ से कही गई थी ये बात
केंद्र सरकार के नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) का नाम बदलने के फैसले पर कांग्रेस पार्टी की तरफ से खूब आलोचना की गई थी। पार्टी की तरफ से कहा गया था कि केंद्र की मोदी सरकार हमारे भारत के पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू की विरासत को मिटाने में जुटी हुई है। नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी नाम पर विवाद पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा था कि ये ओछी और छोटी राजनीति का उदाहरण है जो कि सूरज को दीया दिखाने जैसा है।
इसके आगे सुप्रिया श्रीनेत ने वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया जिसके लिए उनका नाम इतिहास में दर्ज किया जाए।
President Droupadi Murmu has approved the renaming of the Nehru Memorial Museum and Library (NMML) as the Prime Ministers’ Museum, reads the gazette notification. pic.twitter.com/5ydrIfLjWT
— ANI (@ANI) September 1, 2023
भाजपा की तरफ से आया था जवाब
कांग्रेस पार्टी समेत विपक्ष के नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) का नाम बदलने को लेकर खड़े किए गए विवाद पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा, bjp) का भी पलटवार सामने आया था। कांग्रेस को जवाब देते हुए बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि कांग्रेस और पीएम मोदी की सोच में बहुत अंतर है। कांग्रेस पार्टी के लिए बस पंडित नेहरू और परिवार ही मायने रखते हैं लेकिन हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सभी प्रधानमंत्रियों को म्यूजियम में सम्मानजनक स्थान दिलाया है। आगे रविशंकर प्रसाद ने ये भी सवाल उठाया कि क्यों नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में लाल बहादुर शास्त्री को जगह नहीं दी गई।