नई दिल्ली। संसद का मॉनसून सत्र 19 जुलाई को शुरू हुआ था। यह सत्र 13 अगस्त तक चलना था, लेकिन लोकसभा को दो दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर देना पड़ा। वजह सिर्फ एक यानी विपक्ष का हंगामा। आंकड़े बताते हैं कि विपक्ष ने किस तरह संसद के निचले सदन के कामकाज के घंटे बर्बाद कर दिए। इन आंकड़ों को जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे। संसद का सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले पेगासस स्पाईवेयर का मामला मीडिया में उछाला गया। किसानों का मुद्दा 8 महीने से गर्माया हुआ था ही। नतीजे में विपक्ष ने पहले ही दिन से हंगामा करना शुरू कर दिया। हंगामे की वजह से हर रोज लोकसभा की बैठक को स्थगित करना पड़ता। अब स्पीकर ओम बिरला ने बताया है कि विपक्ष ने सदन के कामकाज के कितने घंटे अपने हंगामे और अड़ियल रुख से बर्बाद किए।
स्पीकर के मुताबिक लोकसभा में कुल 96 घंटे कामकाज होना था, लेकिन विपक्ष के हंगामे की वजह से 17 बैठकों में सिर्फ 21 घंटे 14 मिनट का काम ही हो सका। यानी 75 घंटे विपक्ष ने कामकाज नहीं होने दिया। इस तरह सदन सिर्फ 22 फीसदी ही कामकाज निपटा सका। इस दौरान लोकसभा से 20 बिल पास किए गए। वह भी तब, जबकि स्पीकर ने देखा कि हंगामे से कार्यवाही स्थगित होती रही, तो एक भी बिल पास नहीं हो पाएगा। इसके बाद तमाम बिल हंगामे के बीच ही उन्होंने पास कराए।
स्पीकर के मुताबिक इसी हंगामे के बीच सरकार ने 66 तारांकित सवालों के जवाब दिए और सांसदों ने नियम 377 के तहत आम जनता से जुड़े 331 मामले लोकसभा में उठाए। जबकि, लोकसभा में संसद की अलग-अलग स्थायी समितियों ने 60 रिपोर्ट दीं। 22 मंत्रियों ने भी अपने मंत्रालय के कामकाज के बारे में लोकसभा को बताया।