नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी दलों को भारत की निराशाजनक तस्वीर पेश करने में मजा आता है। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष के नेता अपनी निराशा को देश पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं, यह ठीक नहीं है। बिना नाम लिए राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जब नेता ही निराश होंगे तो जनता का क्या होगा ? उन्होंने कांग्रेस नेता के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोगों को नेशन शब्द से आपत्ति है तो ऐसे व्यक्ति को अपने पूर्वजों की गलती स्वीकार करते हुए अपनी पार्टी का नाम इंडियन नेशनल कांग्रेस से बदल कर फेडरेशन ऑफ कांग्रेस रख लेना चाहिए।
कांग्रेस पर हमला करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने एक परिवार से आगे कुछ सोचा नहीं। परिवार के खिलाफ बोलने पर कांग्रेस ने अपने ही राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम केसरी को निकाल दिया था। उन्होंने परिवारवाद को लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि सभी राजनीतिक दलों को अपने दलों के अंदर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए प्रयास करना चाहिए और सबसे पुरानी पार्टी होने के कारण कांग्रेस को इसकी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि 1975 में आपातकाल लगा कर लोकतंत्र का गला घोंटने वाली कांग्रेस को लोकतंत्र पर बोलने का हक नहीं है।
कोरोना काल में अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने इस दौरान मुख्यमंत्रियों के साथ 23 बैठकें की और केंद्र एवं राज्य सरकारों ने मिलकर इस महामारी से निपटने के लिए कार्य किया। उन्होंने इसे संघीय ढांचे का शानदार उदाहरण करार दिया। कोरोना पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस के नहीं आने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष ने कोरोना काल में भी सिर्फ राजनीति करने का काम किया, दलों को सर्वदलीय बैठक में आने से रोकने का प्रयास किया, भारत की वैक्सीन के खिलाफ मुहिम चलाई और देश में निराशा का माहौल बनाने की कोशिश की।
पीएम मोदी के संबोधन की अहम बातें-
अगर कांग्रेस न होती तो जातिवाद और क्षेत्रवाद की खाई इतनी गहरी न होती, अगर कांग्रेस न होती तो सिखों का नरसंहार न होता, सालों साल पंजाब आतंकी आग में न जलता, अगर कांग्रेस न होती तो कश्मीर के पंडितों को कश्मीर छोड़ने की नौबत न आती।
अगर कांग्रेस न होती तो बेटियों को तंदूर में जलाने की घटनाएं न होतीं, अगर कांग्रेस न होती तो देश के सामान्य मानवी को मूल सुविधाओं के लिए इतने सालों तक इंतजार न करना पड़ता।
अगर कांग्रेस न होती तो लोकतंत्र परिवारवाद से मुक्त होता, भारत विदेशी चश्मे के बजाए स्वदेशी संकल्पों के रास्ते पर चलता, अगर कांग्रेस न होती तो आपातकाल का कलंक न होता, अगर कांग्रेस न होती तो दशकों तक भ्रष्टाचार को संस्थागत बनाकर नहीं रखा जाता।
कांग्रेस की परेशानी ये है कि उन्होंने डायनेस्टी के आगे कुछ सोचा ही नहीं। भारत को सबसे बड़ा खतरा परिवारवादी पार्टियों का है। मैं चाहता हूं कि सभी राजनीतिक दल लोकतांत्रिक मूल्यों और आदर्शों को अपने दलों में भी विकसित करें।
कुछ लोग ये ही मानते हैं कि हिन्दुस्तान 1947 में पैदा हुआ और भारत में पिछले 75 सालों में जिसको 50 साल काम करने का मौका मिला उनकी नीतियों पर भी इस मानसिकता का प्रभाव रहा जिससे कई विकृतियां पैदा हुई हैं। ये लोकतंत्र आपकी मेहरबानी से नहीं है।
कुछ दल के बड़े नेताओं ने पिछले दो साल में जो अपरिपक्वता दिखाई है उससे देश को बहुत निराशा हुई है। हमने देखा कि कैसे राजनीतिक स्वार्थ में खेल खेले गए, भारतीय वैक्सीन के खिलाफ मुहिम चलाई गई।
यूपीए के समय महंगाई डबल डिजिट छू रही थी, आज हम एक एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था हैं जो हाई ग्रोथ और मध्यम मुद्रास्फीति अनुभव कर रहे हैं।
साल 2021 में एक करोड़ 20 लाख नए ईपीएफओ के पेरोल पर जुड़े, इनमें से 60-65 लाख 18 से 25 वर्ष की आयु के हैं। रिपोर्ट बताती है कि कोरोना के पहले की तुलना में कोविड प्रतिबंध खुलने के बाद नियुक्तियां दोगुनी बढ़ गई हैं
UP और तमिलनाडु में डिफेंस कॉरिडोर बना रहे हैं, जिस तरह से MSME क्षेत्र के लोग डिफेंस सेक्टर में आ रहे हैं ये उत्साहवर्धक है और दिखाता है कि देश के लोगों में सामर्थ्य है। देश को डिफेंस के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए MSME के लोग बहुत साहस जुटा रहे हैं।
इस कोरोना काल में 80 करोड़ से भी अधिक देशवासियों के लिए इतने लंबे कालखंड के लिए मुफ़्त में राशन की व्यवस्था की गई, ताकि ऐसी स्थिति कभी पैदा न हो कि उनके घर का चूल्हा न जले। भारत ने ये काम करके दुनिया के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
देश जब आजादी के 100 साल मनाएगा, तब हमें देश को कहां ले जाना है, कैसे ले जाना है, इसके लिए ये बहुत महत्वपूर्ण समय है।