नई दिल्ली। बिहार में जातीय जनगणना को लेकर सियासत सोमवार से फिर गरमा गई है। वजह है सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का हलफनामा। इस हलफनामे में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि जनगणना कराने का अधिकार सिर्फ उसे है और कोई अन्य राज्य या एजेंसी जनगणना नहीं करा सकती। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में ये भी कहा है कि संविधान के निर्देशानुसार वो समाज के पिछड़े, दलित और आदिवासी नागरिकों के हित में भी काम करती है। केंद्र के इस हलफनामे के बाद बिहार के पूर्व सीएम और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि बीजेपी जातीय जनगणना नहीं होने देना चाहती। इसी वजह से कोर्ट में हलफनामा दिया है। देखिए कि केंद्र ने अपने हलफनामे में आखिर सुप्रीम कोर्ट से क्या कहा है।
Final affidavit filed by Home Ministry in Bihar Caste survey case.@ANI pic.twitter.com/wU8uK64lT5
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) August 28, 2023
लालू के इस बयान के बाद बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि जातीय सर्वे कोई भी करा सकता है। उन्होंने कहा कि बिहार में जो आंकड़े जुटाए जा रहे हैं, उसे बीजेपी जातीय सर्वे मानती है। अब इस मसले पर विपक्ष और बीजेपी के बीच टकराव होता दिख रहा है। बिहार में लोगों की जाति पता करने का काम हालांकि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार पूरा करा चुकी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद ही तय होगा कि इसके आंकड़े सामने आएंगे या नहीं। बिहार पहला राज्य है, जहां इस तरह लोगों की जाति सरकार ने पता की है। सरकार का कहना है कि इससे समाज के विभिन्न वर्गों के लिए उसे योजनाएं बनाने में आसानी होगी।
बिहार में सरकार की ओर से लोगों की जाति पता करने को सबसे पहले पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। पटना हाईकोर्ट ने पहले तो इस पर रोक लगाई, लेकिन बाद में रोक हटा ली। जिसके बाद सरकार ने अपना काम पूरा कर लिया। इसके बाद याचिका करने वालों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की बात तो मान ली, लेकिन उसने बिहार सरकार के कदम पर रोक नहीं लगाई है। ऐसे में अब केंद्र के हलफनामे के बाद पेच फंसता दिख रहा है। जहां याचिका करने वालों को साबित करना होगा कि बिहार में सरकार ने जनगणना कराई है। वहीं, बिहार सरकार को ये साबित करना होगा कि ये जनगणना नहीं, सर्वे है।