नई दिल्ली। पिछले कई दिनों से देश में समान नागरिक संहिता को लेकर विवाद अपने चरम पर है। कोई इसका विरोध कर रहा है, तो कोई समर्थन कर रहा है। वहीं, बीते दिनों उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने स्पष्ट कर दिया था कि अगर प्रदेश में उनकी सरकार आई , तो सबसे पहले समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में कदम उठाया जाएगा। वहीं, अब जब सत्ता की चाबी सीएम धामी के हाथों लग चुकी है, तो सीएए कानून को धरातल पर उतारने की दिशा में मुख्यमंत्री एक्शन की मुद्रा में नजर आ रहे हैं। हालांकि, कई मौकों पर वो मीडिया से बातचीत के क्रम में यूसीसी को प्रदेश में लागू कराने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता जाहिर कर चुके हैं। इस बीच समान नागरिक संहिता को लेकर एबीपी न्यूज के रिपोर्टर ने बड़ा दावा किया है। दरअसल, रिपोर्टर ने इस संदर्भ में ट्वीट कर कहा कि, ‘ABP News पर देश के पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड (उत्तराखंड) का ब्लूप्रिंट करीब 2 लाख 31 हज़ार सुझावों में से इन सुझावों पर लगी अंतिम मुहर। पूरे देश में यूनिफार्म सिविल कोड का टेम्पलेट बनेगा उत्तराखण्ड का UCC। बता दें कि रिपोर्ट ने चैनल का स्क्रिनशॉट साझा कर यूसीसी कानून का ब्लूप्रिंट होने का दावा किया है।
Super Exclusive—
ABP News पर देश के पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड (उत्तराखंड) का ब्लूप्रिंट
करीब 2 लाख 31 हज़ार सुझावों में से इन सुझावों पर लगी अंतिम मुहर
पूरे देश में यूनिफार्म सिविल कोड का टेम्पलेट बनेगा उत्तराखण्ड का UCC
……………..1—- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक… pic.twitter.com/pkmG7pMB2j
— abhishek upadhyay (@upadhyayabhii) June 16, 2023
रिपोर्टर द्वारा साझा किए गए ब्लूप्रिंट में यूसीसी को लेकर अहम बातें कही गई हैं। पहला जिक्र लिव इन रिलेशनशिप को लेकर किया गया है। दरअसल, ब्लूप्रिंट में कहा गया है कि लिव इन रिलेशनशिप का पहले डिक्लेरेशन देना होगा। इसके बाद ही इसे मान्य माना जाएगा। बता दें कि यूसीसी में यह प्रावधान ऐसे वक्त में किया गया है, जब प्रदेश में लगातार लिव इन रिलेशनशिप के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसके अलावा यूसीसी के ब्लूप्रिंट में कहा गया है कि हलाला और इद्दत पर पूरी तरह से रोक लगाई जाएगी। इसके अलावा बहु-विवाह पर भी रोक लगाने की बात कही गई है। वहीं, यूसीसी में लड़कियों के विकास पर विशेष फोकस रहेगा।
यूसीसी में कहा गया है कि लड़कियों की शादी के लिए उम्र बढ़ाई जाएगी, ताकि वह अपना स्नातक पूरा कर सकें। ध्यान दें कि यूसीसी के ब्लूप्रिंट को लेकर यह दावा एबीपी न्यूज चैनल के रिपोर्टर ने किया है। न्यूज रूम पोस्ट इसकी अपनी तरफ से कोई पुष्टि नहीं करता है। सनद रहे कि यूसीसी विधानसभा चुनाव में मुद्दा रहा है। बहुत मुमकिन है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी यह मुद्दा रहेगा। लेकिन जिस तरह से इसे लेकर कहीं विरोध तो कहीं समर्थन की बयार बहती हुई नजर आ रही है. उसका आगामी दिनों में राजनीतिक परिदृश्य पर कैसा असर पड़ता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।