नई दिल्ली। एक तरफ कृषि बिल हंगामे की वजह से दोनों सदनों से पास हो गया और दूसरी तरफ इसको लेकर संसद से सड़क तक संग्राम जारी है। सरकारी की तरफ से इस बिल को लेकर जाहिर की जा रही किसानों की हर चिंता का जवाब दिया जा रहा है। लेकिन विपक्ष इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है ताकि इस पूरे मामले को जीवंत रखा जा सके और इसके जरिए सरकार को घेरा जा सके। इस सब के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कृषि बिल को मंजूरी दे दी है। मतलब अब यह बिल कानून का रूप ले चुका है। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने इस बिल को किसानों के लिए ऐतिहासिक बताया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि विधेयक को किसानों के लिए रक्षा कवच बताया था। प्रधानमंत्री ने विपक्षी पार्टियों, खासकर कांग्रेस पर, आरोप लगाया था कि वह इन विधेयकों का विरोध कर किसानों को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है। पीएम ने इस बिल का विरोध कर रहे लोगों को लेकर कहा था कि वह बिचौलियों के साथ किसानों की कमाई को बीच में लूटने वालों का साथ दे रही हैं। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे इस भ्रम में न पड़ें और सतर्क रहें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से अपील करते हुए कहा था कि, ‘‘विश्वकर्मा जयंती के दिन लोकसभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयक पारित किए गए हैं। किसान और ग्राहक के बीच जो बिचौलिए होते हैं, जो किसानों की कमाई का बड़ा हिस्सा खुद ले लेते हैं, उनसे बचाने के लिए ये विधेयक लाए जाने बहुत आवश्यक थे। ये विधेयक किसानों के लिए रक्षा कवच बनकर आए हैं।’’
उन्होंने कहा था कि जो लोग दशकों तक सत्ता में रहे हैं और देश पर राज किया है, वे लोग किसानों को इस विषय पर भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं ओर उनसे झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जिस एपीएमसी एक्ट को लेकर अब ये लोग राजनीति कर रहे हैं, एग्रीकल्चर मार्केट के प्रावधानों में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, उसी बदलाव की बात इन लोगों ने अपने घोषणापत्र में भी लिखी थी। लेकिन अब जब एनडीए सरकार ने ये बदलाव कर दिया है, तो ये लोग इसका विरोध करने पर उतर आए हैं। दुष्प्रचार किया जा रहा है कि सरकार के द्वारा किसानों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का लाभ नहीं दिया जाएगा। ये भी मनगढ़ंत बातें कही जा रही हैं कि किसानों से धान-गेहूं इत्यादि की खरीद सरकार द्वारा नहीं की जाएगी। ये सरासर झूठ है, गलत है, किसानों को धोखा है।’’