
नई दिल्ली। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वे मामले में आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। फिलहाल कोर्ट ने कल तक के लिए एएसआई सर्वे पर रोक को जारी रखा है। इस मामले में हाईकोर्ट में 27 जुलाई गुरुवार दोपहर 3.30 बजे फिर से सुनवाई होगी। ASI सर्वे पर हाईकोर्ट कल फैसला सुना सकता है। जिस पर मुस्लिम पक्ष की दलील पर सुनवाई होनी है। इससे पहले आज हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा परिसर को नुकसान पहुंचाए बैगर एएसआई 31 जुलाई तक सर्वे का खत्म करे। जिस पर एएसआई ने भी जल्द सर्वे खत्म करने का भरोसा दिया।
वहीं हाईकोर्ट के फैसले पर हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ”ASI के अतिरिक्त निदेशक ने आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया है जिसमें कहा गया कि सर्वेक्षण के दौरान संरचना को कोई क्षति नहीं होगी। ASI सर्वेक्षण कल तक नहीं होगा, कल अदालत इस मामले पर दोपहर 3.30 बजे फिर से सुनवाई करेगी।”
ASI के अतिरिक्त निदेशक ने आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया है जिसमें कहा गया कि सर्वेक्षण के दौरान संरचना को कोई क्षति नहीं होगी। ASI सर्वेक्षण कल तक नहीं होगा, कल अदालत इस मामले पर दोपहर 3.30 बजे फिर से सुनवाई करेगी: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष का… pic.twitter.com/322FFMJqmZ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 26, 2023
बता दें कि वाराणसी के ज्ञानवापी मामले को लेकर हलचल तेज है। इस मामले को लेकर अदालत में कई तरह की याचिका दायर की गई है। जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट और जिला अदालत में सुनवाई जारी है। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे के काम पर 26 जुलाई की शाम 5 बजे रोक लगा दी थी। उसे अब हाईकोर्ट ने बढ़ाकर 27 जुलाई की शाम तक कर दिया है। यानि इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामले पर कल भी सुनवाई होगी।
ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे पर कल तक के लिए रोक जारी
मुस्लिम पक्ष ने कहा- कोई जल्दबाजी नहीं है#Gyanvapi #ASI #Highcourt #Varanasi pic.twitter.com/tceStmnxIs
— News18 Uttar Pradesh (@News18UP) July 26, 2023
दरअसल सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने 2 दिन का समय मांग था। लेकिन हाईकोर्ट ने एक दिन का ही समय दिया। अब 27 जुलाई को दोपहर 3.30 बजे कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा। मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में दावा किया है कि ये संरक्षित स्थल नहीं है। इस पर 400 साल से कोई विवाद नहीं था।