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Priyanka Gandhi : जैसे भगवान राम ने संघर्ष किया वैसे राहुल…वंशवाद के आरोप पर प्रियंका का भाजपा पर पलटवार

Priyanka Gandhi : संकल्प सत्याग्रह’ के दौरान अपनी बात रखते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “यहां बैठे-बैठे मेरे मन में एक पुरानी बात याद आई। 32 साल पुरानी बात याद आई। बात मई 1991 की है। सेना के ट्रक के ऊपर फूलों से सजा मेरे पिता का शव रखा था। राहुल, मैं और मां पीछे गाड़ी में चल रहे थे। इस बीच राहुल ने जिद की और गाड़ी से उतरकर सेना के ट्रक के पीछे चलने लगा।

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के ऊपर वंशवादी पार्टी होने का आरोप लगाया तो प्रियंका गांधी ने पलटवार करते हुए भगवान राम से राहुल गांधी की तुलना कर डाली। दरअसल, आज राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता छिनने के विरोध में ‘संकल्प सत्याग्रह’ के दौरान प्रियंका गांधी ने भी पलटवार किया है। इसके लिए उन्होंने भगवान श्रीराम का उदाहरण दिया है। उन्होंने कहा, ‘भगवान राम को वनवास भी भेजा गया। उन्होंने अपने परिवार और धरती के प्रति अपना धर्म निभाया। क्या भगवान राम परिवारवादी थे? क्या पांडव परिवारवादी थे? उन्होंने अपने परिवार के संस्कारों के लिए संघर्ष किया।”

आपको बता दें कि राहुल गांधी की सदस्यता छोड़ने के विरोध में हो रह संकल्प सत्याग्रह के दौरान प्रियंका गांधी ने वंशवाद पर बीजेपी के आरोपों का जवाब देते हुए आगे कहा, ‘क्या हमें शर्म आनी चाहिए कि हमारे परिवार के लोग देश के लिए शहीद हुए हैं? देश की धरती में उनका खून है। इस देश के लोकतंत्र को हमारे परिवार के लोगों ने खून से सींचा है।’  प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि जिस शहीद के बेटे को आज अपमानित किया जा रहा है, उस गांधी परिवार ने इस देश के लोकतंत्र को अपने खून से सींचा है। उन्होंने राजीव गांधी की हत्या के बाद राहुल गांधी से जुड़ा 32 साल पुराना किस्सा भी सुनाया। उन्होंने कहा कि जो सोचता है कि हमको अपमानित करके डराएंगे और धमकाएंगे और हम पर तमाम एजेंसियां लगाकर छापे मरवाएंगे। हम और मजबूती से लड़ेंगे। हम लगातार इस लोकतंत्र के लिए हमारी लड़ाई अनवरत जारी रहेगी।।

गौरतलब है कि ‘संकल्प सत्याग्रह’ के दौरान अपनी बात रखते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “यहां बैठे-बैठे मेरे मन में एक पुरानी बात याद आई। 32 साल पुरानी बात याद आई। बात मई 1991 की है। सेना के ट्रक के ऊपर फूलों से सजा मेरे पिता का शव रखा था। राहुल, मैं और मां पीछे गाड़ी में चल रहे थे। इस बीच राहुल ने जिद की और गाड़ी से उतरकर सेना के ट्रक के पीछे चलने लगा। कड़ी धूप में वो पैदल चलते-चलते त्रिमूर्ति से अपने पिता के जनाजे के पीछे-पीछे चलते-चलते यहां पहुंचा। कोई बेटा वह मंजर कैसे भूल सकता है।