पटना। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के करीबी और एलजेपी (रामविलास) के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष हुलास पांडेय के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की है। अवैध बालू खनन से संबंधित शिकायतें मिलने के बाद ईडी ने हुलास पांडेय के पटना और बेंगलुरु स्थित तीन ठिकानों पर छापे मारे। खबरों के मुताबिक ईडी को चिराग पासवान के करीबी हुलास पांडेय के ठिकानों से बालू खनन और करोड़ों के लेन-देन के कागजात मिले हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हुलास पांडेय के ठिकानों से ईडी को कैश भी मिला है। हालांकि, जांच एजेंसी ने खबर लिखे जाने तक इस छापे के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
बालू खनन के इस मामले में लालू यादव के करीबी सुभाष यादव, जगनारायण सिंह, पुंज सिंह और एमएलसी राधाचरण सेठ को पहले ही ईडी गिरफ्तार कर चुकी है। हुलास पांडेय की गिरफ्तारी से सियासत गर्मा सकती है। हुलास पांडेय जेडीयू के पूर्व विधायक सुनील पांडेय के भाई हैं। हुलास पांडेय के भतीजे प्रशांत पांडेय बीजेपी के विधायक हैं। हुलास पांडेय की गिनती बिहार के बाहुबली नेताओं में भी की जाती है। बिहार में बरमेश्वर (ब्रह्मेश्वर) मुखिया की हत्या के मामले में भी हुलास पांडेय का नाम आया था। इस मामले में आरा के एमपी-एमएलए कोर्ट ने सीबीआई की चार्जशीट को खारिज कर दिया था। जिससे हुलास पांडेय को राहत मिली थी। हुलास पांडेय के 3 और भाई हैं। मीडिया की खबरों के मुताबिक पिता की हत्या के बाद हुलास पांडेय ने अपराध की दुनिया में कदम रखा। हुलास पांडेय पर 2 दर्जन से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं।
चिराग पासवान के करीबी हुलास पांडेय के ठिकानों पर ईडी के छापों से ये बात तो साबित होती है कि मोदी सरकार के दौर में जांच एजेंसियां किसी भी पक्षपात के बिना काम कर रही हैं। अब तक विपक्षी दल ये आरोप लगाते रहे हैं कि मोदी सरकार में सीबीआई, इनकम टैक्स और ईडी को विपक्ष के नेताओं के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। इन जांच एजेंसियों के बारे में ये दावा भी विपक्षी दल करते हैं कि जिसके यहां छापा मारा जाता है, वो बीजेपी में या उसके साथ आ जाता है। जबकि, इस बार छापा ही मोदी सरकार में शामिल बड़े नेता के करीबी पर पड़ा है।