
नई दिल्ली। महाराष्ट्र के स्कूलों में 1 से 5वीं क्लास तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य बनाए के देवेंद्र फडणवीस सरकार के फैसले पर विवाद शुरू हो गया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे इस पर भड़क गए हैं और उन्होंने प्रदेश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि इस कोशिश को हम सफल नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है, वह अन्य भाषाओं की तरह ही एक राज्यभाषा है, इसलिए हिंदी की अनिवार्यता क्यों? राज ठाकरे बोले, हम हिंदू हैं लेकिन हिंदी नहीं हैं। महाराष्ट्र में हिंदीकरण की कोशिश होगी तो इसका विरोध अनिवार्य होगा।
दक्षिण भारत के राज्यों का जिक्र करते हुए राज ठाकरे ने सरकार से सवाल किया कि आप वहां हिंदी को अनिवार्य रूप से लागू करके दिखाएं। उन्होंने कहा कि महायुति सरकार में शामिल शिवसेना और एनसीपी इसे स्वीकार कर सकते हैं लेकिन महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। ठाकरे ने कहा कि हर प्रदेश की अलग भाषा है और भाषा के आधार पर ही प्रदेशों को बांटा गया है। हर प्रदेश में वहां की भाषा का सम्मान होना चाहिए। सरकार पर आरोप लगाते हुए मनसे प्रमुख ने कहा कि वो महाराष्ट्र के लोगों और गैर हिंदी भाषियों के बीच विवाद खड़ा करना चाहती है इसीलिए यहां हिंदी को लाया जा रहा है।
Mumbai, Maharashtra: BJP State President Chandrashekhar Bawankule says, “Marathi is our primary language, but Hindi, being the national language, should also be respected. In Maharashtra, we will naturally speak Marathi, but Hindi should also be included in education” pic.twitter.com/njar2K1tSX
— IANS (@ians_india) April 17, 2025
उधर, महाराष्ट्र बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, मराठी हमारी प्राथमिक भाषा है, लेकिन राष्ट्र भाषा होने के नाते हिंदी का भी सम्मान किया जाना चाहिए। महाराष्ट्र में हम स्वाभाविक रूप से मराठी बोलेंगे, लेकिन शिक्षा में हिंदी को भी शामिल किया जाना चाहिए। बता दें कि महाराष्ट्र के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 के लिए हिंदी को अनिवार्य किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तीन भाषाई फार्मूले को सरकार ने लागू करने का फैसला किया है।