लेह। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने 15 जून 2020 को भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया। इस हिंसक झड़प में सीमा की रक्षा करते हुए 20 बहादुर सैनिक शहीद हो गए। इस तारीख को इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए याद रखा जाएगा। इस घटना पर वहां के एक स्थानीय कवि फुंसुक लद्दाखी ने कविता सुनाई है।
ये वो कविता है जिसे सुन कर आपका जोश सातवें आसमान पर पहुंच जाएगा। उनकी इस कविता को लद्दाख में काफी लोकप्रिता मिली है। इस कविता में फुंसुक लद्दाखी ने गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों को याद किया है। एक मिनट 19 सकेंड के इस कविता को आप बार-बार सुनना चाहेंगे। उन्होंने ये कविता खुद गायी है।
जिसके शब्द कुछ ऐसे हैं-
खाके, खाके हां खाके सौगंध मिट्टी की
पीके, पीके हां पीके पानी सिंध का
खाके सौगंध मिट्टी की, पीके पानी सिंध का
शोला बनके बरसा, अरे शोला बनके बरसा
#WATCH Phunsuk Ladakhi, a poet recites his composition on the bravery of Indian Army personnel who fought in the Galwan Valley clash in Ladakh. pic.twitter.com/GSv9Lb677G
— ANI (@ANI) July 5, 2020
लद्दाख तनाव
आपको बता दें कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इन दिनों तनाव का माहौल है। पिछले महीने गलवान घाटी में हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। कहा जा रहा है कि दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए भारत ने चीन के भी 45 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद से सीमा पर तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के बीच लगातार बातचीत हो रही है। लेकिन अभी तक इन बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है।