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Panchajanya On SC: संघ से जुड़ी पत्रिका पांचजन्य का गंभीर आरोप, कहा- भारत विरोधी तत्वों का हथियार बन गया है सुप्रीम कोर्ट

Panchajanya On SC: आरएसएस से जुड़ी पत्रिका ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट आम जनता के दिए टैक्स से ही चलता है और भारत के कानून के हिसाब से देश के हित में चलाने के लिए बना है। गुजरात दंगों और उसमें पीएम नरेंद्र मोदी की भूमिका के बारे में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को पांचजन्य ने भारत की छवि खराब करने वाला प्रोपेगेंडा बताया है।

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी पत्रिका पांचजन्य ने अपने संपादकीय में सुप्रीम कोर्ट पर बड़ा इल्जाम लगाया है। पांचजन्य ने आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट को भारत विरोधी तत्व अपने हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। पत्रिका ने अपने संपादकीय में ये बात पीएम नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के मामले में सुप्रीम कोर्ट से सरकार को नोटिस भेजे जाने का मुद्दा उठाते हुए कही है। पांचजन्य ने अपने संपादकीय में लिखा है कि मानवाधिकार के नाम पर पहले आतंकियों को बचाने और पर्यावरण संरक्षण के नाम पर भारत के विकास में रोड़े अटकाने के बाद भारत विरोधी ताकतें अब देश के खिलाफ ही प्रोपेगेंडा कर रही हैं। इसमें सुप्रीम कोर्ट की मदद लिए जाने का आरोप पत्रिका ने लगाया है।

Supreme Court

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को बैन करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई अर्जियां दाखिल की गई हैं। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है। इन्हीं नोटिस का हवाला देते हुए पांचजन्य ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट को देश के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया था, लेकिन अपनी राह आसान करने के लिए देशविरोधी ताकतों ने इसे अपना हथियार बना लिया है। आरएसएस से जुड़ी पत्रिका ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट आम जनता के दिए टैक्स से ही चलता है और भारत के कानून के हिसाब से देश के हित में चलाने के लिए बना है। गुजरात दंगों और उसमें पीएम नरेंद्र मोदी की भूमिका के बारे में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को पांचजन्य ने भारत की छवि खराब करने वाला प्रोपेगेंडा बताया है।

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पत्रिका ने संपादकीय में लिखा है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में जो भी बताया गया है, वो गलत है और कल्पना पर आधारित है। संपादकीय में पांचजन्य ने ये भी लिखा है कि सारी भारत विरोधी ताकतें हमारे लोकतंत्र, हमारी उदारता और हमारी सभ्यता के मानकों का सहारा लेकर हमारे खिलाफ ही काम कर रही हैं।