नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश में कहर ढाया। लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में जिस तरह का तांडव इस दौरान देखने को मिला वह किसी से छुपा हुआ नहीं है। दिल्ली के लोग ऑक्सीजन की कमी और अस्पतालों में बेड की कमी से त्राहिमाम कर रहे थे। विश्व स्तर की स्वास्थ्य सुविधाओं का दावा करनेवाली केजरीवाल सरकार कोरोना की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की प्रदेश में खस्ताहालत की वजह से लंबी-लंबी सांसें खींचनी लगी थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री को अपनी पत्नी और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री को अपना खुद का इलाज कराने के लिए प्राइवेट असपतालों के दरवाजे तक जाना पड़ा। फिर आम जनता की तो सुनता ही कौन। कोरोना की पहली लहर के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खुली तो अरविंद केजरीवाल सरकार ने इसकी बदहाली का ठीकरा केंद्र सरकार के मथ्थे फोड़ दिया। लेकिन दूसरी लहर के दौरान चूकि राज्य खुद स्वतंत्र रूप से इन सारी व्यवस्थाओं को देख रही थी तो इस बार उनके लिए मुसीबत बड़ी हो गई। हालांकि दोनों ही बार केंद्र को हस्तक्षेप कर मामले को अपने हाथ में लेना पड़ा।
लेकिन इस सब के बीच केजरीवाल सरकार की पोल भी जमकर खुली। केजरीवाल सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं की सुगम व्यवस्था नहीं करने और इसमें उनकी नाकामी प्रदेश की जनता के सामने खुलकर आ गई। लेकिन इससे भी बड़ी बात 2019 में एक RTI की रिपोर्ट रही जो केजरीवाल सरकार के दावे की पोल खोलने के लिए काफी थी। इस आरटीआई के बदले जो जवाब दिया गया उसके आंकड़े काफी चौंकानेवाले हैं।
2015 manifesto: हम आनेवाले पांच सालों में सरकारी अस्पतालों में 30,000 अतिरिक्त बेड जोड़ेंगे।
मेरी RTI से मालूम पड़ा कि सरकार बनने के छह साल बाद भी सरकारी अस्पतालों में बेड की कुल संख्या 10,993 की ही है। pic.twitter.com/QgIouLzd4P
— Sujit Hindustani (@geeta5579) August 8, 2021
दरअसल दिल्ली के नसीरपुर निवासी और RTI कार्यकर्ता तेजपाल सिंह ने साल 2019 में एक आरटीआई दाखिल कर सरकार से इस बारे में जवाब मांगा था कि दिल्ली सरकार ने वादे के मुताबिक कितने फ्लाईओवर बनाए, कितने अस्पताल बनवाए, अस्पतालों में कितने बेड बढ़ाए गए और साथ ही इस दौरान दिल्ली की सरकार द्वारा प्रदेश भर में 1000 मुहल्ला क्लिनिक खोलने के दावे में कितनों को पूरा किया गया।
2019 की इस RTI का जो जवाब आया उसको जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। इस आरटीआई के जवाब में इस बात की जानकारी दी गई कि दिल्ली सरकार ने इस दौरान कोई भी फ्लाईओवर का निर्माण नहीं कराया। इसके साथ ही यह भी जानकारी दी गई कि 1000 मोहल्ला क्लिनिक खोलने का दावा करनेवाली केजरीवाल सरकार राज्य में 189 मोहल्ला क्लिनिक ही खोल पाई। इसके साथ ही इस बात की भी सूचना दी गई कि इस दौरान दिल्ली सरकार ने कोई भी नया अस्पताल जनता के नाम नहीं किया। साथ ही इस बारे में भी जानकारी दी गई कि दिल्ली सरकार ने 30000 से 40000 हजार के बीच जो सरकारी अस्पतालों में बेड बढ़ाने का वादा किया था वह वादा खोखला था। दिल्ली में पूर्व की तरह अभी भी यहां के सरकारी अस्पतालों में 10800 से ज्यादा की संख्या में ही बेड मौजूद हैं।
अपने काम को लेकर अपनी पीठ थपथपाने वाले केजरीवाल सरकार का यह उदासीन रवैया ही था कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान यहां के लोगों को जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ते हुए अस्पताल के बेड भी नसीब नहीं हुए। DGHS ने तो इसमें यहां तक कहा कि दिल्ली सरकार ने 2015 से 2019 के बीच एक भी सरकारी अस्पताल नहीं बनाए। जबकि आप सरकार ने 2015 के चुनावी घोषणापत्र में इस बात का दावा किया था कि दिल्ली में 40 हजार से ज्यादा बेड बढ़ाए जाएंगे। लेकिन उनके दावे के झूठ की पोल RTI ने खोल कर दी।