
नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से यह देखने को मिल रहा है कि जब कभी-भी कहीं किसी मांग को लेकर आंदोलन होता है, तो वहां प्रधानमंत्री के विरोध में नारे लगा दिए जाते हैं। अब ऐसे में यह सवाल पूछा जाना लाजिमी है कि आखिर किसी भी आंदोलन अपनी मांगों को मनवाने के लिए पीएम मोदी के संदर्भ में विवादास्पद टिप्पणी करने का क्या औचित्य है? यह तो फिलहाल ऐसा करने वाले लोग ही बता पाएंगे। हालांकि, आप बतौर पाठक इस भूमिका को पढ़ने के बाद पूरी स्थिति को समझ ही गए होंगे कि हम क्या कहना चाह रहे हैं। दरअसल, दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवानों के प्रदर्शन के दौरान आंदोलनकारी किसानों ने पीएम मोदी के विरोध में नारे लगाए। किसानों ने कहा कि ‘मोदी तेरी तानाशाही नहीं चलेगी, नहीं चलेगी’।
बता दें कि बीते रविवार को भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में बड़ी संख्या में किसान पहलावानों का समर्थन करने जंतर-मंतर पर पहुंचे थे। वहीं, टिकैत ने अपने संबोधन में भी स्पष्ट कर दिया था कि हम सरकार को बृजभूषण की गिरफ्तारी के लिए 15 दिन का समय देते हैं और अगर इन 15 दिनों के अंदर बृजभूषण की गिरफ्तारी नहीं हुई, तो आंदोलन की अगली रूपरेखा तैयार की जाएगी। वहीं, यौन शोषण के आरोपों में घिरे भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह ने कह दिया है कि अगर उनके ऊपर लगाए गए आरोपों में तनिक भी सत्यता पाई गई, तो वो आत्महत्या कर लेंगे। उधर, बृजभूषण का कहना है कि राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर इस तरह के आंदोलन किए जा रहे हैं। आंदोलन को राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है।
#WATCH | Farmers break through police barricades as they join protesting wrestlers at Jantar Mantar, Delhi
The wrestlers are demanding action against WFI chief and BJP MP Brij Bhushan Sharan Singh over allegations of sexual harassment. pic.twitter.com/k4d0FRANws
— ANI (@ANI) May 8, 2023
वहीं, आज बजरंग पुनिया सुर्खियों में आ गए। दरअसल, उनका एक ट्वीट चर्चा में आ गया, जिसमें कहा गया था कि मैं बजंरग हूं, तो मैं बजरंग दल का समर्थन करता हूं, जिस पर अब बजरंग पुनिया ने खुद मीडिया के सामने आकर पूरी स्थिति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने मामले की असली सच्चाई बताते हुए कहा यह ट्वीट उन्होंने नहीं किया था, बल्कि उनकी टीम ने किया था, जिसे अब डिलीट कर दिया गया है। ध्यान रहे कि गत कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस द्वारा जारी किए गए घोषणापत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया गया था, जिसे लेकर अभी बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर है।
गौरतलब है कि धरनारत महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख पर यौन शोषण का आरोप लगाया है, जबकि बृजभूषण इन आरोपों को सिरे से खारिज कर कर रहे हैं। उधर, खेल मंत्रालय ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का भी गठन किया था, लेकिन अभी तक मामले के संदर्भ में कोई रिपोर्ट नहीं सौंपी गई। वहीं बृजभूषण के खिलाफ प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की गई थी, वो तो सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखल किया तो दिल्ली पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने पर बाध्य हुई।