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UP: अखिलेश को CM बनवाने का दावा कर रहे हैं ओमप्रकाश राजभर, लेकिन बीजेपी ने चली पटखनी देने की चाल

ओमप्रकाश राजभर ने कई जनसभाओं में दावा किया है कि इस बार वो अखिलेश यादव को सीएम बनवाकर ही दम लेंगे। ओमप्रकाश राजभर की पार्टी का करीब दो दर्जन सीटों पर प्रभुत्व है। ऐसे में बीजेपी का नेतृत्व उनकी काट के लिए तैयारी कर रहा है।

लखनऊ। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानी सुभासपा। इस पार्टी ने 2017 में बीजेपी से गठबंधन किया था। सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने योगी सरकार में मंत्री का पद भी हासिल किया था। फिर वो कई मुद्दों पर बीजेपी से नाराज हो गए। योगी सरकार से ओमप्रकाश राजभर ने किनारा कस लिया और इस बार समाजवादी पार्टी यानी सपा के मुखिया अखिलेश यादव के साथ खड़े हैं। ओमप्रकाश राजभर ने कई जनसभाओं में दावा किया है कि इस बार वो अखिलेश यादव को सीएम बनवाकर ही दम लेंगे। ओमप्रकाश राजभर की पार्टी का करीब दो दर्जन सीटों पर प्रभुत्व है। ऐसे में बीजेपी का नेतृत्व उनकी काट के लिए तैयारी कर रहा है। इसके लिए बीजेपी ने गेमप्लान तैयार किया है।

ओमप्रकाश राजभर की काट खोज रही बीजेपी को सुभासपा को हराने की चाबी मिल चुकी है। बीते दिनों बीजेपी ने कालीचरण राजभर को पार्टी में शामिल कराया है। कालीचरण राजभर दो बार बीएसपी के टिकट पर जहूराबाद विधानसभा सीट से चुने जा चुके हैं। इस साल फरवरी में वो बीएसपी छोड़कर सपा में गए थे, लेकिन ओमप्रकाश राजभर के सपा के साथ जाने के बाद उन्हें अखिलेश यादव की पार्टी में अपने लिए उम्मीद खत्म होती दिखी। नतीजे में वो बीजेपी के साथ आ गए। यूपी में राजभर वोटों की बात करें, तो पूर्वांचल के 24 से ज्यादा जिलों में राजभर वोटर जीत और हार तय करने की स्थिति में हैं। यूपी विधानसभा की 403 में से करीब 100 सीटों पर राजभर वोटरों का प्रभाव है। पूर्वांचल में कुल विधानसभा सीटों की संख्या 157 है।

om prakash rajbhar

बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में झंडा फहरा दिया था। सहयोगियों समेत बीजेपी को इस इलाके से 117 सीटें हासिल हुई थीं। इससे पहले 2012 में सपा ने पूर्वांचल की 112 सीटें हासिल कर सरकार बनाई थी। जबकि, 2007 में मायावती की बीएसपी ने पूर्वांचल की 85 सीटें जीती थीं। इन आंकड़ों से साफ है कि पूर्वांचल को जो जीतता है, वही यूपी पर राज करता है। बीजेपी इसी वजह से राजभर वोटों को अपने पाले में करने या कम से कम उनमें बंटवारा कराने की कोशिश कर रही है। अगर बीजेपी का गेमप्लान सटीक बैठता है, तो ओमप्रकाश राजभर की स्थिति न इधर की रहेगी और न उधर की। इसके साथ ही सपा के सत्ता में न पहुंचने की हालत में उनकी सुभासपा का सपा से अलग होना भी तय हो जाएगा।