नई दिल्ली। जैसे-जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे राम भक्तों के दिल की धकड़नें तेज होती जा रही हैं। आज 19 जनवरी है। महज कुछ घंटों का इंतजार है। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होगी। इससे पहले रामलला को मंदिर के गर्भगृह के आसान में स्थापित कर दिया गया। जिसमें चार घंटे का समय लगा। पूरे विधि-विधान के साथ राम लला को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कर दिया गया है, जिसकी लेटस्ट तस्वीरें भी सामने आईं हैं। वहीं, प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के सोलापुर में एक जनसभा को संबोधित करने के क्रम में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का जिक्र कर भावुक भी हो गए। बहरहाल, सभी राम भक्तों उस दिन का इंतजार है, जब राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी, लेकिन इस बीच इससे जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसके बारे में आगे कि रिपोर्ट में हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं।
दरअसल, राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के बाबत उन सभी पांच न्यायाधीशों को आमंत्रण पत्र भेजा गया है, जिनके द्वारा सुनाए गए ऐतिहासिक फैसले के परिणामस्वरूप राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। बता दें कि ये ऐतिहासिक फैसला सुनाने वालों में पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई, पूर्व सीजेआई शरद अरविंद बोबडे, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर का नाम शामिल है। इसके अलावा राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से पूर्व मुख्य न्यायाधीशों सहित 50 न्यायावीदों को भी आमंत्रित किया गया है।
इसके साथ ही अयोध्या केस की सुनवाई से जुड़े वकील के परासरन, हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, सीएस वैद्यनाथन के अलावा महेश जेठमलानी, SG तुषार मेहता पूर्व AG के के वेणुगोपाल, मुकुल रोहतगी शामिल है। इसके अलावा आमंत्रित अतिथियों में जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस जी एस खेहर, जस्टिस डी के जैन, जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा, जस्टिस हेमंत गुप्ता, जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रामा सुब्रमण्यम, जस्टिस के जी बालकृष्णन, जस्टिस अनिल दवे, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस एम के शर्मा, जस्टिस आदर्श गोयल, जस्टिस वी एन खरे को भी आमंत्रित किया गया है।
वहीं, इस पूरे मामले को लेकर सियासत भी जारी है। बीते दिनों राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से इंडिया गठबंधन को भी निमंत्रण पत्र भेजा गया था, लेकिन कांग्रेस ने इस पत्र को यह कहकर ठुकरा दिया था कि बीजेपी ने आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए इसे राजनीतिक कार्यक्रम में तब्दील कर दिया है, लिहाजा हमने इस निमंत्रण को ठुकराने का फैसला किया। हालांकि, बीते दिनों मणिपुर में भारत जोड़ो न्याय यात्रा की अगुवाई के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रेसवार्ता में स्पष्ट कर दिया था कि अगर कोई प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाना चाहता है, तो वो जा सकता है। हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है।