नई दिल्ली। जहां एक तरफ देश की राजधानी दिल्ली में नगर निगम चुनाव के लिए प्रचार-प्रसार चरम पर है। राजधानी की गलियों में सियासी नुमाइंदों की आमद शुरू हो चुकी है। कोई अपनी उपलब्धियां गिनाने में मसरूफ है, तो कोई किसी की खामियां गिनाने में मशगूल है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर नगर निगम चुनाव में किसका डंका बजता है? यह तो फिलहाल नतीजों के दिन ही स्पष्ट हो पाएगा, लेकिन उससे पहले नगर निगम चुनाव को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। आइए, आगे आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
दरअसल, दिल्ली नगर निगम चुनाव पर रोक लगाने के लिए दिल्ली नेशनल यूथ की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। जिसमें निगम चुनाव पर रोक लगाने की मांग की गई थी। मांग के पीछे वजह बताई गई थी कि नगर निगम के क्षेत्रों का उपयुक्त परीसीमिन किया जाना है। लिहाजा याचिकाकर्ता ने चुनाव पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन जस्टिस संजय किशन कौल और अभय एस ओका की पीठ ने याचिका खारिज कर दी। दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि अब रविवार को मतदान होना है। नतीजों की घोषणा आगामी सात दिसंबर को होगी। सभी राजनीतिक पार्टियों की तरफ तैयारियां मुकम्मल की जा चुकी हैं। ऐसी स्थिति में याचिका संपूर्ण तौर पर निरर्थक है। याचिका विचार करने के लायक नहीं रह गई है। लिहाजा इसे खारिज करना ही उचित रहेगा।
आपको बता दें कि दिल्ली नगर निगम चुनाव की सारी तैयारियां मुकम्मल की जा चुकी हैं। आगामी चार दिसंबर को चुनाव होने हैं और नतीजों की घोषणा आगामी सात दिसंबर को होगी। सभी राजनीतिक दल चुनाव प्रचार में जुट चुके हैं। ऐसे में नगर निगम में किसका डंका बजता है। यह तो फिलहाल कह पाना मुश्किल है। बता दें कि पिछले 15 सालों से बीजेपी का कब्जा बरकरार है। ध्यान रहे कि इससे पहले अप्रैल माह में भी निगम चुनाव पर रोक लगा दी गई थी।
उस वक्त कुछ तकनीकी कारणों का हवाला दिया गया था, लेकिन अब जब सारी तैयारियां मुकम्मल हो चुकी हैं। तो ऐसे में निगम चुनाव में किसका डंका बजता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।