
नई दिल्ली। नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव को दिल्ली हाईकोर्ट से झटका लगा है। सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर को रद्द करने और निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग वाली लालू की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। लालू यादव और उनके परिवार के अन्य सदस्यों पर लगे आरोपों पर अब 2 जून को सत्र अदालत के विशेष न्यायाधीश के समक्ष सुनवाई होगी। इस मामले में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटों तेजस्वी यादव, तेज प्रताप, बेटियां मीसा भारती, हेमा यादव समेत अन्य को आरोपी बनाया गया है। सीबीआई और ईडी दोनों ही इस मामले की जांच कर रही हैं।
#BREAKING Delhi High Court dismisses RJD Chief Lalu Prasad Yadav’s plea to stay trial court proceedings in land for jobs scam case registered by #CBI.
Matter is listed before special judge on June 02 for arguments on charge. #LaluPrasadYadav #DelhiHighCourt pic.twitter.com/ZDW57odU8k
— Live Law (@LiveLawIndia) May 31, 2025
लालू यादव की ओर से हाईकोर्ट में वकील कपिल सिब्बल ने दलील पेश की, मगर अदालत ने उनकी दलीलें नहीं मानी। इस मामले में ईडी लालू और राबड़ी देवी से पूछताछ भी कर चुकी है। लालू यादव पर आरोप है कि साल 2004 से 2009 के यूपीए सरकार के कार्यकाल दौरान केंद्रीय रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने नौकरी के नाम पर लोगों की जमीनों को हड़प लिया। उस दौरान रेल विभाग में निकाली गई ग्रुप डी की भर्तियों में जबर्दस्त भ्रष्टाचार हुआ और युवाओं को नौकरी देने के बदले उनकी पुस्तैनी जमीन को बहुत ही कम दाम पर ले लिया गया।
जमीन खरीद के लिए एबी एक्सपोर्ट्स और एके इन्फोसिस्टम्स नाम की कंपनियों का इस्तेमाल हुआ। एके इन्फोसिस्टम्स ने 1.89 करोड़ में 11 अलग-अलग भूखंड खरीदे जिनकी कीमत इससे ज्यादा थी। बाद में 1 लाख की कीमत पर एके इन्फोसिस्टम्स को लालू यादव के परिजनों के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया। हालांकि इस मामले में पहले लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप का नाम नहीं था मगर बाद में चार्जशीट में उनका नाम भी शामिल कर लिया गया। सीबीआई ने पिछले साल 6 जुलाई को फाइनल चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें सीबीआई ने 78 लोगों को आरोपी बनाया था।