नई दिल्ली। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर सियासत कम होने का नाम नहीं ले रही है। एक तरफ दिल्ली हाईकोर्ट ने इस प्रोजेक्ट के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता के खिलाफ 1 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस लगातार अभी भी इस मामले में केंद्र सरकार को घेरने में लगी हुई है और कोरोना काल में सरकार द्वारा इस प्रोजेक्ट को ऐसे समय में वह गैरवाजिब बता रहे हैं। इस सब के बीच कांग्रेस यह भूल गई है कि 2012 में कांग्रेस के कार्यकाल में लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने भी इस प्रोजेक्ट को अहमियत दी थी। अब कांग्रेस ऐसे वक्त में केंद्र सरकार पर हमलावर है और वह कोरोना को वजह बताकर इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की कोशिश में है।
इस सब के बीच कांग्रेस के सांसद शशि थरूर का 2018 का एक ट्वीट वायरल हो रहा है। इस ट्वीट में शशि थरूर जो लिख रहे हैं वह ना तो कांग्रेस के अभी के बयान से मैच खा रहा है ना ही शशि थरूर के हालिया ट्वीट से। यह ट्वीट तब शशि थरूर ने किया था जब वह मलेशिया के संसद भवन में पहुंचे थे। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि मलेशियाई संसद का दौरा किया और निचले सदन के खाली कक्ष में प्रवेश किया। इस दौरान एक दर्द महसूस किया: प्रत्येक सांसद की अपनी नेमप्लेट, आलीशान चमड़े की कुंडा कुर्सी, लैपटॉप और माइक यहां होता है। हम लोकसभा में बिना लेग रूम वाली बेंचों पर बैठे हैं, घूमने की तो बात ही छोड़िए। यह एक ऐसा समय है जब यहां इस तरह के बदाव की जरूरत है!
शशि थरूर का मानना था कि इस समय के हिसाब से भारत को भी अपने नए संसद भवन की जरूरत है और ऐसा जरूरी भी है और आज जब 2021 में इस नए सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर काम सुचारू रूप से जारी है तो इस पर कांग्रेसी नेता लगातार राजनीति कर रहे हैं। उनकी तरफ से लगातार इस प्रोजेक्ट को मोदी महल और ना जाने क्या-क्या कहकर संबोधित किया जा रहा है।
आपको बता दें कि इस मामले को बढ़ता देखकर और अपने पुराने ट्वीट को लेकर जारी घमासान पर एक बार फिर सफाई देने शशि थरूर खुद सामने आए और उन्होंने लिखा कि मैं देख रहा हूं कि मेरे 2018 के ट्वीट को #CentralVista से जोड़कर बहुत से लोग माफी मांगने की बात कर रहे हैं। मैंने जिस संसद उन्नयन की मांग की थी, वह वर्तमान संसद के सेंट्रल हॉल को लोकसभा में उन सभी सुविधाओं के साथ परिवर्तित करके हासिल किया जा सकता था, जिनकी मैंने मलेशियाई संसद में प्रशंसा की थी। किसी नए भवन की इसके लिए जरूरत नहीं थी।
मतलब अपनो को घिरता देखकर शशि थरूर भूल गए कि वह जो कह रहे हैं उसमें कहीं से भी तारतम्यता नहीं दिख रही है। पुराने संसद भवन में पहले ही इतने सुधार किए जा चुके हैं कि उसे और अपग्रेड करना संभव नहीं है। ऊपर से वह भवन कमजोर भी हो चुकी है। ऐसे में हादसा कभी भी हो सकता है। साथ ही देश में बढ़ते सांसद और अन्य वजहों से ही इसके विस्तार की जरूरत आन पड़ी है। ऊपर से इस भवन की एक लाइफ जो होनी चाहिए वह भी कब की खत्म हो चुकी है।