दिल्ली हिंसा में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, आरोपी गुलफिशा ने कहा ‘सरकार की छवि खराब करना था मकसद’
दिल्ली हिंसा के बाद से आए दिन इस मामले को लेकर नए-नए खुलासे हो रहे हैं। दिल्ली पुलिस की तरफ से हाल ही में ताहिर हुसैन के बयान को सबके सामने लाया गया था।
नई दिल्ली। दिल्ली हिंसा के बाद से आए दिन इस मामले को लेकर नए-नए खुलासे हो रहे हैं। दिल्ली पुलिस की तरफ से हाल ही में ताहिर हुसैन के बयान को सबके सामने लाया गया था। अब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दावा किया है कि दिल्ली हिंसा के मामले में जिस महिला गुलफिशा उर्फ गुल को गिरफ्तार किया था उससे पूछताछ में कई खुलासे हुए हैं। पुलिस का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भी हिंसा की साजिश में शामिल थे। हिंसा भड़काने के लिए बुर्के वाली महिलाओं का ग्रुप तैयार किया गया था।
पुलिस की मानें तो गुलफिशा ने अपने बयान में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे का भी जिक्र किया है। गुलफिशा ने कहा, ‘ट्रंप दौरे को ध्यान में रखते हुए। चांद बाग रोड का भी ‘चक्का जाम’ वॉट्सएप पर पोस्ट किया गया। इसको भी प्रोफेसर अपूर्वानंद मॉनिटर कर रहे थे। जिसके बाद ही बीते 4 अगस्त 2020 को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद को पूछताछ के लिए बुलाया था। करीब 5 घंटे तक पूछताछ की थी। पुलिस ने प्रोफेसर का मोबाइल भी जांच के लिए जब्त कर लिया था।’
दिल्ली पुलिस के दावे के मुताबिक डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद भी दिल्ली हिंसा की साजिश का हिस्सा थे। पुलिस का कहना है कि दिल्ली दंगों में UAPA एक्ट में गिरफ्तार आरोपी महिला जाफराबाद की रहने वाली गुलफिशा उर्फ गुल ने पुलिस को दिए बयान में यह खुलासा किया है।
पुलिस का कहना है कि गुलफिशा ने उन्हें बताया है, प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा था कि हिंसा की साजिश के लिए तैयार रहो। हिंसा करवाने के बाद प्रोफेसर अपूर्वानंद ने गुलफिशा की तारीफ की थी। गुलफिशा ने बताया, हिंसा के बाद अपूर्वानंद ने उससे कहा था कि तुमने अच्छा काम किया है, लेकिन पुलिस के पकड़े जाने पर मेरा और पिंजड़ा तोड़ की सदस्यों का नाम मत लेना।
गुलफिशा के मुताबिक, महिलाओं को मिर्च पाउडर लाने के लिए कहा गया था, ताकि विरोध प्रदर्शन रोकने की कोशिश पर इन्हें पुलिस पर फेंका जाए। गुलफिशा ने हिंसा के लिए 2 वॉट्सऐप ग्रुप बनाए थे, जिनका नाम- औरतों का इंकलाब, वॉरियर था।
आरोपी महिला गुलफिशा ने बताया कि साजिश के तहत वो खुद बुर्के वाली महिलाओं और बच्चों को गली-गली जाकर CAA और NRC के खिलाफ इस कदर भड़काती थी कि महिलाएं प्रोटेस्ट में आने के लिए राजी हो जाती थीं। महिलाओं और बच्चों को प्रदर्शन में जोड़ने की वजह ये होती थी कि पुलिस महिलाओं और बच्चों को जबरन नहीं उठाएगी जैसे शाहीन बाग में हो रहा था।
आरोपी गुलफिशा के मुताबिक, उसकी दोस्ती डीयू के पिंजड़ा तोड़ ग्रुप की सदस्य देवांगना और परोमा राय से भी हुई थी। आरोपी गुलफिशा ने बताया कि प्रोफेसर अपूर्वानंद ने उसको कहा कि जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी दिल्ली में 20-25 जगह पर आंदोलन शुरू करवा रही है। इन आंदोलन का मकसद भारत सरकार की छवि को खराब दिखाना है।
गुलफिशा ने आगे बताया, फ्रूट मंडी सीलमपुर में प्रदर्शन शुरू होने के बाद JCC के सदस्य हमें हर तरह से मदद करते थे और सफूरा और मिरान हैदर हमारे और दूसरे प्रदर्शन को को-ऑर्डिनेट करते थे। उमर खालिद भी हमें पैसों से मदद करते थे और भीड़ को भड़काऊ भाषण देते थे जिससे लोग धरने में जुड़े रहते थे।
बकौल गुलफिशा, प्रोफेसर ने हमें हिंसा के लिए मैसेज दे दिया था। जिसके बाद हमने पत्थर, खाली बोतलें, एसिड, छुरियां इकठ्ठा करने के लिए कहा गया था और सभी महिलाओं को सूखी लाल मिर्च रखने के लिए बोला गया था।
गुलफिशा ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि 22 फरवरी को चक्का जाम करने की साजिश के तहत महिलाओं को इकट्ठा कर कैंडल मार्च के बहाने हम निकले और जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे बैठ गए और रोड ब्लॉक कर दिया गया। जिसके बाद 24, 25, 26 फरवरी को जबरदस्त हिंसा हुई थी।