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Himanta Biswa: मुस्लिम महिलाऐं न बन जाएं ‘बच्चा पैदा करने वाली मशीन’..बहुविवाह पर प्रतिबंध की बात करते हुए बोले CM हिमंता बिस्वा

Himanta Biswa: भारत के संविधान के अनुच्छेद- 25 के साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 के प्रावधानों समिति एक फैसले पर पहुंचने के लिए कानूनी विशेषज्ञों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करेगी।’ बता दें कि हाल ही में एक रैली के दौरान राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करना पुरुषों की चार शादियां करने तथा महिलाओं को ‘बच्चा पैदा करने वाली मशीन’ बनाने की व्यवस्था को समाप्त करने को लेकर हिमंत बिस्वा ने तमाम टिप्पणियां की।

नई दिल्ली। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा अपनी हिंदूवादी छवि को लेकर बेहद तेजी से बीजेपी के लोकप्रिय नेता के रूप में उभर रहे हैं। बीते दिनों असम में धर्मांतरण को लेकर सख्ती के चलते वो चर्चाओं में रहे तो अब बहुविवाह प्रथा पर रोक लगाने की बात कहकर वो देश में चर्चाएं बटोर रहे हैं। गौर करने वाली बात ये है कि वो समान नागरिक संहिता को लेकर भी मुखर हैं। मंगलवार को सीएम हिमंत बिस्वा ने बहुविवाह प्रथा पर जोरदार हमला बोला। इसके साथ ही हिमंत बिस्वा ने कहा, ‘हम समान नागरिक संहिता (UCC) से नहीं गुजर रहे हैं। लेकिन, हम एक राज्य अधिनियम के तहत ‘बहुविवाह’ पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं। असम सरकार ने इस बात की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्णय लिया है। ताकि, पता चल सके कि प्रदेश सरकार के पास इस प्रथा पर रोक लगाने का अधिकार है भी या नहीं ?

जानकारी के लिए आपको बता दें कि पूर्वोत्तर राज्य असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने आगे इस प्रथा पर चोट करते हुए कहा, ‘ हमारे राज्य की सरकार राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए विचार कर रही है। इसके साथ ही हिमंत बिस्वा सरमा ने आगे बताया, समिति कानूनी विशेषज्ञों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक रूप से चर्चा करने वाली है। इसके साथ ही हिमंत बिस्वा सरमा ने मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 के प्रावधानों की भी जांच किए जाने की बात कही। हिमंत बिस्वा शरीयत को लेकर अक्सर बयान देते रहते हैं। इस बार भी शरीयत कानून के प्रावधानों को लेकर उन्होंने जोरदार हमलावर होते हुए तमाम बातें कहीं, हिमंत ने आगे कहा, हम जिस समिति को गठित करने पर विचार कर रहे हैं वो भारतीय संविधान के अनुच्छेद-25 के साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अधिनियम 1937 के प्रावधानों के तहत यूनिफार्म सिविल कोड के लिए DPSP (राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत) के बारे में रिसर्च करेगी।

भारत के संविधान के अनुच्छेद- 25 के साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 के प्रावधानों समिति एक फैसले पर पहुंचने के लिए कानूनी विशेषज्ञों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करेगी।’ बता दें कि हाल ही में एक रैली के दौरान राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करना पुरुषों की चार शादियां करने तथा महिलाओं को ‘बच्चा पैदा करने वाली मशीन’ बनाने की व्यवस्था को समाप्त करने को लेकर हिमंत बिस्वा ने तमाम टिप्पणियां की।