नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से राजनीति में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की तर्ज पर ‘कौन पहुंचेगा लखीमपुर’ नामक प्रतियोगिता शुरू हो चुकी है। तमाम सियासी दलों के नेता इस प्रतियोगिता में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हुए नजर आ रहे हैं। खैर, इस कोशिश में अब तक तमाम नेता नाकाम ही रहे हैं। अब तक प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव, संजय सिंह समेत कई नेताओं को लखीमपुर जाने से रोक जा चुका है। वहीं, अब खबर है कि राहुल गांधी भी लखीमपुर जाने के क्रम में लखनऊ एयरपोर्ट पर अपने दो मुख्यमंत्रियों संग धरने पर बैठ गए हैं, लेकिन उन्हें जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है। इस बीच लखीमपुर कांड के बहाने विपक्षी दलों की बीच केंद्र सरकार की विफलताओं को जनता के सामने परिलक्षित करने की दिशा में की जा रही उनकी कोशिश भी विफल ही साबित हो रही है। ऐसा अखिलेश यादव द्वारा प्रियंका गांधी पर कई गई हालिया टिप्पणी से जाहिर होती है, जिसमें उन्होंने कहा कि, ‘प्रियंका गांधी अपने कमरे में बंद थीं, इसलिए हमारा संघर्ष नहीं देख पाईं।’ आइए, आगे जानते हैं कि आखिर उन्होंने यह बयान किस संदर्भ में दिया है।
दरअसल, मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में जब अखिलेश यादव से पूछा गया कि प्रियंका गांधी का कहना है कि लखीमपुर कांड में सपा और बसपा का संघर्ष नहीं दिख रहा है। इस पर सपा प्रमुख ने भड़कते हुए कहा कि प्रियंका अपने कमरे में बंद हैं, इसलिए उन्हें हमारा संघर्ष नहीं दिख रहा है। अखिलेश इतना कहते ही अपनी वाणी को विराम दे गए, लेकिन बेशक वे अपनी वाणी को विराम दे गए हों, मगर उनकी यह टिप्पणी अभी खासा चर्चा में है। सियासी गलियारों में इसे अलग ही नजरिए देखा जा रहा है। कहीं अखिलेश का यह बयान विपक्षी एकता में फूट की वजह तो नहीं बनेगा, क्योंकि लखीमपुर कांड में एक सुर व लय से सभी दल केंद्र सरकार के खिलाफ हमला बोलते हुए नजर आ रहे हैं, ऐसे में अगर किसी दल का बड़ा नेता इस तरह के बयानबाजी करता है तो यकीनन चर्चा का बाजार गुलजार होगा ही।
गौरतलब है कि बीते दिनों प्रियंका गांधी वाड्रा को लखीमपुर जाने के दौरान रोक दिया गया था। इस दौरान उन्होंने एक पुलिसकर्मी पर खुद को धक्का देने का आरोप भी लगाया था। इस बीच उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। प्रियंका की गिरफ्तारी के विरोध में कांग्रेस के तमाम बड़े नेता व कार्यकर्ता हल्ला बोल रहे हैं। हालांकि, सरकार की तरफ से लखीमपुर खीरी कांड में पांच नेताओं को जाने की इजाजत दे गई है, लेकिन इसके बावजूद भी सियासी बवाल थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है।