नई दिल्ली। सोशल मीडिया में जिसका जो मन होता है वो लिख देता है। देशविरोधी ताकतें भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। वहीं, क्रिप्टोकरेंसी के बारे में भी पीएम नरेंद्र मोदी समेत समूचा सरकारी तंत्र आशंकाएं जता चुका है। अब लग रहा है कि सरकार सोशल मीडिया और क्रिप्टोकरेंसी के नियमन के लिए सख्त कानून बनाने जा रही है। इसके संकेत पीएम मोदी के शुक्रवार को दिए भाषण से मिलने लगे हैं। अमेरिका की ओर से लोकतंत्र पर किए गए सम्मेलन में वर्चुअली हिस्सा लेते हुए मोदी ने अपने भाषण में कहा कि लोकतांत्रिक देशों को सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया और क्रिप्टोकरेंसी से लोकतंत्र को मजबूती मिलनी चाहिए, न कि इससे लोकतंत्र कमजोर होना चाहिए।
तो पहले बात कर लेते हैं सोशल मीडिया की। मोदी सरकार जब सीएए कानून लाई, तो इसके खिलाफ जमकर आंदोलन हुए, दिल्ली में दंगा तक हुआ। फिर कृषि कानूनों के मसले पर भी लंबा आंदोलन चला। इन दोनों ही मामलों में सोशल मीडिया के जरिए भड़काऊ बयानबाजी देखने को मिली। आंदोलनकारियों को हिंसा के लिए उकसाया गया। किसान आंदोलन के दौरान इस साल 26 जनवरी को भी दिल्ली में हिंसा हुई। बता दें कि खुद सुप्रीम कोर्ट तक मोदी सरकार से कह चुका है कि सोशल मीडिया के नियमन के लिए कानून बनाया जाना चाहिए। अब मोदी के बयान से लग रहा है कि सरकार इस बारे में गंभीरता से विचार कर रही है।
सोशल मीडिया की बात के बाद अब नजर डालते हैं क्रिप्टोकरेंसी के मसले पर। मोदी ने सिडनी डायलॉग में भाषण देते हुए क्रिप्टोकरेंसी के मुद्दे पर अपनी आशंकाएं जाहिर की थीं। मोदी ने कहा था कि इसके विज्ञापनों से युवा वर्ग भरमा रहा है। उन्होंने ये आशंका भी जताई थी कि क्रिप्टोकरेंसी का नियमन न होने की वजह से इसका इस्तेमाल आतंकवाद को फंडिंग करने में भी हो सकता है। इसके बाद ही खबर आई कि सरकार संसद के मौजूदा सत्र में क्रिप्टोकरेंसी का नियमन करने का कानून लाएगी। माना जा रहा है कि शेयर बाजार पर नजर रखने वाली सेबी को नियमन का जिम्मा सौंपा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक कानून कठोर होगा और अवैध तरीके से क्रिप्टोकरेंसी का लेन-देन करने वालों को बिना वॉरंट के गिरफ्तार कर जेल में ठूंसा जाएगा।