
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में प्राइवेट पार्ट्स पकड़ने और नाड़ा तोड़ने को रेप न मानने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की बेंच ने याचिका को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि इस पर अदालत सुनवाई नहीं करेगी। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात कही, तो जस्टिस बेला त्रिवेदी ने उनको रोक दिया। उन्होंने कहा कि कोर्ट में लेक्चर बाजी नहीं की जा सकती। याचिकाकर्ता ने आग्रह किया था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से सुप्रीम कोर्ट कुछ शब्द हटा दे या उसे बदल दे।
A bench of Justices Bela Trivedi and Prasanna B. Varale dismissed the petition by stating that the Court is not inclined to entertain the same.
The counsel appearing on behalf of the petitioner began his submission by stating something related to the “Beti Bachai Beti Padhao…
— ANI (@ANI) March 24, 2025
रेप के जिस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पीड़ित का प्राइवेट पार्ट पकड़ना, उसके कपड़े उतारने की कोशिश या नाड़ा तोड़ना रेप नहीं है, वो यूपी के कासगंज का है। कासगंज की महिला ने 12 जनवरी 2022 को ट्रायल कोर्ट में शिकायत दी थी। महिला के मुताबिक 10 नवंबर 2021 की शाम वो 14 साल की बेटी के साथ देवरानी के घर गई थी और शाम को अपने घर लौट रही थी। महिला ने आरोप लगाया कि गांव के ही आकाश, पवन और अशोक ने उसकी बेटी को बाइक से घर छोड़ने की बात कही। उसने भरोसा कर बेटी उनके साथ भेज दी। महिला ने आरोप लगाया कि रास्ते में पवन और आकाश ने बेटी का प्राइवेट पार्ट पकड़ा और आकाश ने पुलिया के नीचे खींचते हुए पाजामे का नाड़ा तोड़ दिया।
इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों पर रेप और अन्य धाराओं में केस दर्ज करने का आदेश दिया था। इस आदेश को आरोपियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को ये कहकर खारिज कर दिया कि आरोपियों ने पीड़ित का प्राइवेट पार्ट पकड़ा, उसके कपड़े उतारने की कोशिश की और नाड़ा तोड़ दिया, लेकिन ये रेप की कोशिश नहीं मानी जा सकती। रेप की कोशिश साबित करने के लिए साफ इरादा दिखना चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि सिर्फ कपड़े उतारने के इरादे से हमले का ही केस बनता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से अब आरोपियों पर निर्वस्त्र करने के इरादे से आपराधिक कृत्य और पॉक्सो के तहत गंभीर यौन हमला का ही केस चलेगा।