नई दिल्ली। पुरी में भगवान जगन्नाथ रथयात्रा पर कोरोना संकट के चलते सुप्रीम कोर्ट से रोक लगाई गई है। ऐसे में भाजपा की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में अपील की गई है कि, इस रोक पर फिर से समीक्षा की जाय। आपको बता दें कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए इसे सार्वजनिक भागीदारी के बिना आयोजित किए जाने पर विचार किया जा सकता है।
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘सदियों की परंपरा को रोका नहीं जा सकता, क्योंकि यह करोड़ों लोगों की आस्था की बात है। अगर भगवान जगन्नाथ 23 जून को नहीं आएंगे, तो वे परंपराओं के अनुसार 12 साल तक नहीं आ सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि महामारी ना फैले, सावधानी बरतते हुए राज्य सरकार एक दिन के लिए कर्फ्यू लगा सकती है।’
अनुष्ठानों में भाग लेने को लेकर तुषार मेहता ने कहा, ‘शंकराचार्य द्वारा तय किए गए अनुष्ठानों में वो सभी सेवायत भाग ले सकते हैं, जिनका कोरोना टेस्ट नेगेटिव है। लोग जगन्नाथ यात्रा को टीवी पर लाइव टेलीकास्ट देख सकते हैं और भगवान का आशीर्वाद ले सकते हैं।’ सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि पुरी के राजा और मंदिर समिति इन अनुष्ठानों की व्यवस्था की देखरेख कर सकते हैं, ताकि कोरोना महामारी को फैलने से रोका जा सके।
Centre mentions the annual Rath Yatra matter before Supreme Court and says, it can be held without public participation keeping in view the COVID19 pandemic https://t.co/swTOUGrGRU
— ANI (@ANI) June 22, 2020
इस मामले में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पुरी से लोकसभा चुनाव लड़ चुके बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने अनुरोध किया है कि वह कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर पुरी की भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा पर रोक लगाने वाले अपने आदेश की समीक्षा करे। याचिका में कहा गया है कि भगवान जगन्नाथ के उन 800 सेवायतों के माध्यम से भक्तों की मंडली के बिना रथ यात्रा आयोजित करने की अनुमति दी जा सकती है, जो सेवायत कोविड टेस्ट में निगेटिव आते हैं।