नई दिल्ली। प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आज सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि तक अगली सुनवाई तक मंदिर-मस्जिद से जुड़ा कोई नया मुकदमा दर्ज नहीं होगा। यह आदेश विवादित धार्मिक स्थलों पर स्थिरता और शांति बनाए रखने के लिए दिया गया है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है, इसलिए नए मुकदमे दर्ज न हों। जो मुकदमे पहले से दर्ज हैं उनमें कोई प्रभावी या अंतिम आदेश निचली अदालतों द्वारा पारित ना किया जाए। इस केस की अगली सुनवाई तक विवादित परिसरों में किसी भी प्रकार के सर्वे के आदेश भी न दिए जाएं।
We are examining vires, contours and ambit of 1991 law on places of worship Act: SC
Places of worship law: SC says no fresh suit for survey will be filed and registered in any court till further orders
Places of worship law: In pending lawsuits, courts will not pass any… pic.twitter.com/NXozubQIKf
— Press Trust of India (@PTI_News) December 12, 2024
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता में जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 (पूजा स्थल अधिनियम-1991) से संबंधित मामले में सुनवाई की। अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार के जवाब के बिना अगली सुनवाई नहीं होगी। इसी के साथ सरकार को 4 सप्ताह का समय दिया गया। पीठ ने सभी पक्षों से अपने प्वाइंट्स तैयार करने को कहा है ताकि मामले को तेजी से निपटाया जा सके। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि एक पोर्टल या कोई ऐसी व्यवस्था बनाई जाए, जहां सभी पक्षों के जवाब देखे जा सकें। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने गूगल ड्राइव लिंक बनाने का सुझाव दिया।
प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 की वैधानिकता को इसलिए दी गई चुनौती
गौरतलब है कि ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991’ के अनुसार 15 अगस्त 1947 को धार्मिक उपासना स्थलों का स्वरूप जैसा था वैसा ही बना रहेगा। यह एक्ट के तहत किसी धार्मिक स्थल पर अन्य समुदाय द्वारा फिर से दावा करने या उसके मूल स्वरूप में बदलाव के लिए वाद दायर करने पर रोक लगाता है। याचिकाकर्ता द्वारा इसी बात का विरोध करते हुए प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 की धाराओं 2, 3 और 4 को रद्द किए जाने का अनुरोध किया गया है।