नई दिल्ली। इलेक्टोरल बॉण्ड का मसला आजकल गरमाया हुआ है। विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि बीजेपी ने ईडी के छापे डलवाए और फिर उन कंपनियों से इलेक्टोरल बॉण्ड के जरिए खूब चंदा लिया। वहीं, बीजेपी इस आरोप को सिरे से नकार रही है। बीजेपी की तरफ से गृहमंत्री अमित शाह ये कह चुके हैं कि 303 सांसदों वाली बीजेपी को तो इलेक्टोरल बॉण्ड के जरिए करीब 6000 करोड़ रुपए ही मिले हैं। जबकि, 300 से कम सांसदों वाली विपक्षी पार्टियों को कुल मिलाकर 14000 करोड़ रुपए इलेक्टोरल बॉण्ड से हासिल हुए हैं। अब इस मामले में सोमवार यानी कल सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्टेट बैंक यानी एसबीआई इलेक्टोरल बॉण्ड से जुड़ा सभी डेटा चुनाव आयोग को सौंपे, लेकिन एसबीआई ने बॉण्ड के यूनीक नंबर नहीं दिए। अब कोर्ट ने एसबीआई से यूनीक नंबर भी देने के लिए कहा है। ताकि पता चल सके कि किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया। फिलहाल लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने के साथ ही इलेक्टोरल बॉण्ड का ये मसला गरमाया हुआ है। सबकी नजर अब इस पर है कि सोमवार की सुनवाई में इलेक्टोरल बॉण्ड संबंधी क्या नए आदेश सुप्रीम कोर्ट एसबीआई को देता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉण्ड की योजना को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये असंवैधानिक है और इससे आरटीआई एक्ट का उल्लंघन होता है। मोदी सरकार की तरफ से 2018 में इलेक्टोरल बॉण्ड की योजना लाई गई थी। जिसके बाद से तमाम कंपनियों ने पार्टियों को इसके जरिए चंदा दिया है। अब उसी मसले को लेकर सियासत गरम है। लोकसभा चुनाव में ये मुद्दा कितना लोगों पर असर डालता है, ये भी देखना बाकी है। फिलहाल तो अमित शाह ने ये कहा है कि जब बॉण्ड का पूरा डेटा सामने आएगा, तो विपक्षी दलों को मीडिया के सवालों का सामना करने में दिक्कत होने वाली है।