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राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों को मिली रिहाई के खिलाफ केंद्र सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम, जानिए यहां सबकुछ

कोर्ट ने इसके पीछे रिहा करने के लिए संविधान के अनुच्छेद अनुच्छेद 142 बताया था। नलिनी और रविचंद्रन ने एजी पेरारीवलन ने रिहाई के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। बता दें कि राजीव गांधी की हत्यारों को मिली रिहाई पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई थी।

नई दिल्ली। दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड मामले में रिहा हुए दोषियों के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। ज्ञात हो कि विगत दिनों कोर्ट ने राजीव गांधी हत्या मामले में शामिल आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया था। जिसमें नलिनी, रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस, सुतेन्द्रराजा उर्फ संथन, श्रीहरन उर्फ मुरुगन और जयकुमार शामिल है। कोर्ट ने रिहा करने के पीछे की वजह इन सभी आरोपियों का 30 साल जेल में बिताना और इनका अच्छा रवैया बताया था। बता दें कि इससे पूर्व राजीव गांधी हत्याकांड में शामिल एजी पेरारीवलन को भी रिहा कर दिया गया था।

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कोर्ट ने इसके पीछे रिहा करने के लिए संविधान के अनुच्छेद अनुच्छेद 142 बताया था। नलिनी और रविचंद्रन ने एजी पेरारीवलन ने रिहाई के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। बता दें कि राजीव गांधी के हत्यारों को मिली रिहाई पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई थी। कांग्रेस की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के उपरोक्त फैसले पर आपत्ति जताई थी। लेकिन, सियासी पंडितों ने कांग्रेस की आपत्ति को मात्र रस्म अदायगी बताया था।

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21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान राजीव गांधी पर आत्मघाती हमला किया गया था। लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) समूह की एक महिला ने आत्मघाती हमला किया था। जिसके बाद हत्या में शामिल सात लोगों को मौत की सजा सुनाई थी। जिसमें नलिनी श्रीहरन, आरपी रविचंद्रन, जयकुमार, संथन, मुरुगन, रॉबर्ट पायस और एजी पेरारिवलन का नाम शामिल था। बता दें कि साल 2000 में नलिनी श्रीहरन की सजा आजीवन कारावास में तब्दील कर दी गई थी। यही नहीं, साल 2014 में भी 6 हत्यारों की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दी गई थी।