नई दिल्ली। टीएमएससी सांसद महुआ मोइत्रा को कैश-फॉर-क्वेरी मामले में लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया है। इस बीच, बीएसपी सांसद दानिश अली ने भी निष्कासन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘क्या संसद का अपमान नहीं हुआ जब रमेश बिधूड़ी ने मेरे खिलाफ अत्यधिक अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया। ‘फिर भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन महुआ मोइत्रा की संसदीय सदस्यता रद्द हो गई। आज गांधी और अंबेडकर की आत्मा रो रही होगी।’
महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता खत्म होने के बाद बड़ी संख्या में विपक्षी सांसद संसद भवन के बाहर जमा हो गए। बसपा सांसद दानिश अली गले में तख्ती लटकाए नजर आए। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘मैंने यह पोस्टर इसलिए लगाया है क्योंकि समिति ने अपनी सिफारिश में मेरे मामले का भी जिक्र किया है, क्योंकि मैं उनके (महुआ मोइत्रा) के लिए न्याय चाहता हूं।’
संसद से निकाले जाने के बाद टीएमएससी नेता महुआ मोइत्रा ने कहा, ‘मैंने अडानी का मुद्दा उठाया, जिसके कारण मुझे संसदीय सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया। अडानी मामले को उठाने के अलावा एथिक्स कमेटी के सामने मेरे खिलाफ कोई मुद्दा नहीं था।’ उन्होंने बीएसपी सांसद दानिश अली का भी जिक्र करते हुए कहा, ‘जब बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने बीएसपी सांसद दानिश अली के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया, तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. लेकिन मेरे ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है। महुआ मोइत्रा ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा, ”सांसद आम लोगों के सवालों को संसद तक पहुंचाने के लिए एक पुल की भूमिका निभाते हैं, लेकिन ‘कंगारू कोर्ट’ ने मुझे बिना सबूत के, केवल विवरण साझा करने के आधार पर दंडित किया है। पूरा मामला लॉगिन है, फिर भी इस पहलू के लिए कोई नियम नहीं हैं। यह निर्णय दिखाता है कि अडानी समूह मोदी सरकार के लिए कितना महत्वपूर्ण है।”
पूरे मामले पर टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ”हम महुआ मोइत्रा के साथ खड़े हैं। यह लोकतंत्र के अधिकारों का उल्लंघन है। मुझे लगा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले को सही तरीके से संभालेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह पूरी संसद के लिए दुखद दिन है।”